मंगलवार, 5 जुलाई 2011

ब्यंग "स" का कमाल

एक बार कचहरी में मैंने  एक टिका छाप पंडित से हाथ दिखलाया ! पंडित ने मुझे बताया की आपके लिए "स" शब्द  बहुत खतरनाक है ! अतः  स  शब्द से हमेशा बच के रहिएगा ! मैंने स शब्द से बचाना शुरू कर दिया ! मै सिगरेट, शराब, सुर्ती, भी खाना छोड़ दिया !  स शब्द से बचने के बाद से मुझे फायदा होने लगा तो मैंने सोचा की अब जिन्दगी में हमेशा स शब्द से बचूगा ! और बचना भी शुरु कर दिया ! सुनीता, सुप्रिया, शिवा, तथा संजय, सुनील आदि दोस्तों को भी न चाहते हुए भी छोड़ना पड़ा ! यहाँ तक की शादी भी न करने की सोच ली थी ! क्यों की जब शादी करूँगा तो ससुराल जाना ही पड़ेगा, वहां सास होगी, साली होगी, ससुर होंगे, साला होगा, सरहज होगी, इतने स का  सामना करना  पड़ेगा ! इसलिए शादी के बारे में सोचना भी बंद कर दिया ! यहाँ तक की साग, सब्जी, सलाद  खाना भी छोड़ दिया और तो और सायकिल चलाना, सवारी से आना जाना भी छोड़ने के लिए  सोचने लगा ! सगे संबंधियों का मेरे ऊपर विश्वास न करने तथा शक करने के कारण सगे सम्बन्धियों, दोस्तों तथा रिश्तेदारों से भी नाता तोड़ दिया ! यहाँ तक की सही सही कार्य करने तथा साँस लेने से भी डरता था ! मगर क्या करूँ साँस लेना मेरी मजबूर थी ! एक बार मुझे सरकारी नौकरी में साछात्कार  के लिए जाना था ! साछात्कार सूरत में होनी थी ! मै स्टेशन पर गया और पता किया की कौन सी ट्रेन आ रही है ! इनक्वैरी  वालों ने बताया की  शालीमार  सुपर फास्ट एक्सप्रेस आ रही है और ये ट्रेन  सराय,सदात, तथा भुसावल  होकर सूरत जाएगी ! फिर मेरे दिमाग में  "स" शब्द आ गया ! मै उसी समय घर पर आ गया !  स अछर के कारण ही मेरी नौकरी चली गई ! फिर कुछ दिन बाद मेरे एक रिश्तेदार द्वारा फर्जी तरीके से फँसाने की वजह से मेरे मेरी हालत ख़राब हो गई ! एक डॉक्टर से सलाह लेने पर डॉक्टर ने बताया की आपको सही और सफल इलाज की जरुरत है ! डॉक्टर ने सही सलाह दी और कुछ सिरप और दावा दे कर सिद्धार्थ नगर रेफर कर दिया ! मै स शब्द सुनकर चौक पड़ा और बोला - डॉ साहब मुझे सिद्धार्थनगर की जगह रामनगर भेज दीजिये ! मगर  सिद्धार्थनगर नहीं ! डॉक्टर गुस्सा होकर मुझे भगा दिया उसी स के कारण मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया ! कुछ दिन के बाद मेरी सास शर्मीला ने शरमाते हुए अपनी लड़की की शादी मुझसे करने की जबरजस्ती करने लगी और उर्मिला की बातों में आकर शादी करने का नाटक कर ही डाली और दोनों मिलकर मेरा जीवन  ही बर्बाद कर डाली ! "स" से कब तक और कहाँ तक बचूं ! अब आप ही बताइए  की क्या टिका छाप पंडित की बात माननी चाहिए ! "स" से तो अब वास्तव में डर लगने लगा है !

...............जय सिंह