बुधवार, 17 जुलाई 2013

समाजिक क्रांति के अग्रदूत ''संत गाडगे बाबा''




आधुनिक भारत को जिन महापुरूषों पर गर्व होना चाहिए उनमें राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा का नाम सर्वोपरि है, यदि ऐसा कहा जाय तो कोर्इ गलत नहीं होगा। मानवता के सच्चे पुजारी सामाजिक समरसता के धोतक निष्काम  कर्मयोगी यदि किसी को माना जाए तो वह थे संत गाडगे बाबा वास्तव में गाडगे बाबा के जीवन से उनके कार्यों से तथा उनके विचारों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। हम समाज और राष्ट्र को काफी कुछ दे सकते हैं। गाडगे बाबा ने अपने जीवन और विचारों एवं कार्यों के माध्यम से समाज और राष्ट्र के सम्मुख एक अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया जिसकी आधुनिक भारत को वास्तव में महती आवश्यकता है।
महाराष्ट्र सहित समग्र भारत में सामाजिक समरता, राष्ट्रीय एकता, जन जागरण एवं सामाजिक क्रानित के अविरत स्रोत के उदवाहक संत गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी सन 1876 को महाराष्ट्र के अकोला जिले के खासपुर गाव त्रयोदशी कृष्ण पक्ष महाशिवरात्री के पावन पर्व पर बुधवार के दिन धोबी समाज में हुआ था। बाद में खासपुर गाव का नाम बदल कर शेणगाव कर दिया गया। गाडगे बाबा का बचपन का नाम डेबूजी था। संत गाडगे के देव सदृश सन्दर एवं सुडौल शरीर,  गोरा रंग, उन्नत ललाट तथा प्रभावशाली व्यकितत्व के कारण लोग उन्हें देख कह कर पुकारने लगे कालान्तर में यही नाम अपभ्रश होकर डेबुजी हो गया। इस प्रकार उनका पूरा नाम डेबूजी झिंगराजी जाणोरकर हुआ। उनके पिता का नाम झिंगरजी माता का नाम सााखूबार्इ और कुल का नाम जाणोरकर था। गौतम बुद्व की भाति पीडि़त मानवता की सहायता तथा समाज सेवा के लिये उन्होनें सन 1905 को ग्रहत्याग किया एक लकडी तथा मिटटी का बर्तन जिसे महाराष्ट्र में गाडगा (लोटा) कहा जाता है लेकर आधी रात को घर से निकल गये। दया, करूणा, भ्रातभाव, सममेत्री, मानव कल्याण, परोपकार, दीनहीनों के सहायतार्थ आदि गुणों के भण्डार बुद्व के आधुनिक अवतार डेबूजी सन 1905 मे ंग्रहत्याग से लेकर सन 1917 तक साधक अवस्था में रहे।
महाराष्ट्र सहित सम्पूर्ण भारत उनकी तपोभूमि थी तथा गरीब उपेक्षित एवं शोषित मानवता की सेवा ही उनकी तपस्या थी।
गाडगे बाबा शिक्षा को मनुष्य की अपरिहार्य आवश्यकता के रूप में प्रतिपादित करते थे। अपने कीर्तन के माध्यम से शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये वे कहते थे ''शिक्षा बडी चीज है पैसे की तंगी हो तो खाने के बर्तनन बेच दो औरत के लिये कम दाम के कपड़े खरीदो। टूटे-फूटे मकान में रहो पर बच्चों को शिक्षा दिये बिना न रहो।''
बाबा ने अपने जीवनकाल में लगभग 60 संस्थाओं की स्थापना की और उनके बाद उनके अनुयायियों ने लगभग 42 संस्थाओं का निर्माण कराया। उन्होनें कभी कहीं मनिदर निर्माण नहीं कराया अपितु दीनहीन, उपेक्षित एवं साधनहीन मानवता के लिये स्कूल, धर्मशाला, गौशाला, छात्रावास, अस्पताल, परिश्रमालय, वृध्दाश्रम आदि का निर्माण कराया। उन्होनें अपने हाथ में कभी किसी से दान का पैसा नहीं लिया। दानदाता से कहते थे दान देना है तो अमुक स्थान पर संस्था में दे आओ।
बाबा अपने अनुयायिययों से सदैव यही कहते थे कि मेरी जहां मृत्यु हो जाय वहीं पर मेरा अनितम संस्कार कर देना, मेरी मूर्ति, मेरी समाधि, मेरा स्मारक मनिदर नहीं बनाना। मैनें जो कार्य किया है वही मेरा सच्चा स्मारक है। जब बाबा की तबियत खराब हुर्इ तो चिकित्सकों ने उन्हें अमरावती ले जाने की सलाह दी किन्तु वहां पहुचने से पहले बलगाव के पास पिढ़ी नदी के पुल पर 20 दिसम्बर 1956 को रात्रि 12 बजकर 20 मिनट पर बाबा की जीवन ज्योति समाप्त हो गयी। जहां बाबा का अनितम संस्कार किया गया आज वह स्थान गाडगे नगर के नाम से जाना जाता है।
वस्तु सिथति तो यह है कि महाराष्ट्र की धरती पर समाज सेवक संत महात्मा, जन सेवक, साहित्यकार एवं मनीषी जन्म लेगें परन्तु मानव मात्र को अपना परिजन समझकर उनके दु:खदर्द को दूर करने में अनवरत रूप से तत्पर गाडगे बाबा जैसा नि:स्पृह एवं समाजवादी सन्त बड़ी मुशिकल से मिलेगा क्योंकि रूखी-सूखी रोटी खाकर दिन-रात जनता जनार्दन के कष्टों को दूर करने वाला गाडगे सदृश जनसेवी सन्त र्इश्वर की असीम कृपा से ही पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।
मानवता के पुजारी दीनहीनों के सहायक संत गाडगे बाबा में उन सभी सन्तेचित महान गुणों एवं विशेषताओं का समावेश था जो एक मानवसेवी राष्ट्रीय सन्त की कसौटी के लिये अनिवार्य है।

जय सिंह 

33 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब
    जय हो गाडगे बाबा की

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  2. जय हो श्री संत गाडगे महाराज की

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  3. जय हो श्री संत गाडगे महाराज जी की

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  4. जय श्री संत गाडगे महाराज

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  5. बहुत खूब सर जय श्री गाङगे बाबा

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  6. बहुत अच्छा काम कर रहे है काश आप जैसी सोच हमारे समाज के और लोग भी रखे तो हमारा समाज बहुत आगे जा सकता है

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  7. अपने समाज को एकजुट रखने आप जैसे महानुभाव की जरूरत है|आपका योगदान सराहनीय हैं

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  8. अपने समाज को एकजुट रखने केे लिए आप जैसे महानुभाव की जरूरत है और आप कर भी रहे हैं जो की national level पर dikhta भी है|आपका योगदान सराहनीय हैं

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  9. सर नमस्कार इस प्रकार के लेख समय समय पर हमेशा आते रहें जिससे हम लोगों को अपने समाज के महापुरुषों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती रहे ताकि हम भी यह कोशिश करें कि हमारे द्वारा समाज को आगे बढ़ाने में यथासंभव अपना योगदान दे सकें

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  10. राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा की जय

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  11. जय संत गाडगे जी महाराज। सर जी नमस्कार, समाज को जागरूक करने का आपके द्वारा किया गया प्रयास अत्यंत ही सराहनीय और उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए सराहना की जाए वह कम है संत गाडगे जी महाराज की कृपा आप पर बनी रहे और नितिन समाज को आपके द्वारा एक नई दिशा मिलती रहे धन्यवाद।

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  12. सर सादर प्रणाम,
    निश्चित ही बाबा गाडगे ने अपने ही नहि वरन सर्व दलित पिछड़ा समाज के उत्थान के लिए मसाल जलाई लेकिन आपने मसाल को हज़ारों हाथों में पहुँचाया ।आप सन्त गाडगे बाबा के ध्वजवाहक हैं।नामों गाडगे ����

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  13. हम धन्य हो गए यह जान कर बाबा गाडगे जी को नमन ।

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  14. संत गाडगे बाबा सच्चे समाज सेवी थे। उनको श्रद्धापूर्वक शत् शत् नमन । हमें बाबा के बताए गए रास्ते पर चल कर समाज की आर्थिक, शैक्षणिक, व राजनीतिक उन्नति के लिए सदैव तत्पर रहने की आवश्यकता है।

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  15. समाज की बेहतरी के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और समानता को आधार बनाकर आजीवन संघर्ष करने वाले #राष्ट्रसंत_गाडगे_महाराज जी के परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें शत् शत् नमन!!!!!!

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  16. समाज की बेहतरी के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और समानता को आधार बनाकर आजीवन संघर्ष करने वाले #राष्ट्रसंत_गाडगे_महाराज जी के परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें शत् शत् नमन 🙏🙇🌹

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  17. समाज के प्रति चिंतन रखने वाले और समाज को जागरूक करने में आप द्वारा किया जा रहा प्रयास बहुत ही सराहनीय है सर जी। और हम यह उम्मीद करते हैं कि अपने समाज में जितने भी लोग जागरूक हैं प्रत्येक व्यक्ति को अपने समाज के प्रति चिंतसील रहना चाहिए। जिससे समाज को एक नई दिशा मिल सके। महान संत गाडगे जी की जयंती पर शत-शत नमन।

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  18. बहुत सुंदर सर जी,सादर प्रणाम जय गाडगे

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  19. संत गाडगे महाराज के चरणों में कोटि कोटि नमन

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  20. संत बाबा गाडगे महाराज की जय बाबा के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम

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