गुरुवार, 26 अक्तूबर 2017

पेरियार ई. वी. रामास्वामी जी


पेरियार ई. वी. रामास्वामी जी के वचन  

👉 ब्राह्मण आपको भगवान के नाम पर मूर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है और स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तुम्हें अछूत कहकर तुम्हारी निंदा करता है. देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है. मैं इस दलाली की निंदा करता हूँ और आपको भी सावधान करता हूँ कि ऐसे ब्राह्मणों का विश्वास मत करो.

👉 उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहें, उन पुराणों और  इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवताओं को शक्ति प्रदान करते हैं. अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने के लिये जिम्मेदार हैं तो ऐसे देवताओं को नष्ट कर दो, अगर धर्म है तो इसे मत मानो, अगर मनुस्मृति, गीता या अन्य कोई पुराण आदि है तो इसको जलाकर राख कर दो. अगर ये मंदिर, तालाब या त्यौहार है तो इनका बहिष्कार कर दो. अगर हमारी राजनीति ऐसा करती है तो इसका खुले रूप में पर्दाफाश करो. 

👉 संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जितने धर्म ओर मत मतान्तर कहीं भी नहीं हैं और यही नहीं, बल्कि इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन ) दूसरी जगह कही भी नही हुए हैं. इसका मूल कारण भारतीयों का निरक्षर ओर गुलामी प्रवृति के कारण उनका धार्मिक शोषण करना आसान है. 

👉 आर्यो ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा. अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो.

👉 ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की.

👉 सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं, तो फिर अकेले ब्राह्मण ऊँच व अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है.

👉 संसार के सभी धर्म अच्छे समाज की रचना के लिए बताए जाते है, परन्तु हिंदू-आर्य, वैदिक धर्म में हम यह अंतर पाते हैं कि यह धर्म एकता और मैत्री के लिए नहीं है.

👉 ऊँची-ऊँची लाटें किसने बनवाईं ? मंदिर किसने बनाए ? क्या ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया ?

👉 ब्राह्मणों ने अपना पेट भरने हेतु अस्तित्व, गुण, कार्य, ज्ञान और शक्ति के बिना ही देवताओं की रचना करके और स्वयभू भूदेवता बनकर हंसी मजाक का विषय बना दिया है.

👉 सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए, हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते.

👉 हमारे देश को वास्तविक आजादी तभी मिली समझाना चाहिए, जब ग्रामीण लोग, देवता, अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जायेंगे.

👉 आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश और अंतरिक्षयान भेज रहे है. हम ब्राह्मणों के द्वारा श्राद्धो द्वारा परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल ओर खीर भेज रहे हैं. क्या ये बुद्धिमानी है ?

👉 ब्राह्मणों से मेरी यह विनती है कि अगर आप हमारे साथ मिलकर नहीं रहना चाहते तो आप भले ही जहन्नुम में जाऐं, परन्तु कम से कम हमारी एकता के रास्ते में मुसीबतें खड़ी न करें. 

👉 ब्राह्मण सदैव ही उच्च एवं श्रेष्ट बने रहने का दावा कैसे कर सकता है ? समय बदल गया है, उन्हें नीचे आना होगा, तभी वे आदर से रह पायेंगे नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा.



पेरियार की मूर्तियों के नीचे लिखा था-

1977 की बात है, मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका आई जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में पेरियार की मूर्तियों के नीचे जो बातें लिखी हुई हैं, वे आपत्तिजनक हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं इसलिए उन्हें हटाया जाना चाहिए।
 याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ईरोड वेंकट रामास्वामी पेरियार जो कहते थे, उस पर विश्वास रखते थे इसलिए उन के शब्दों को उन की मूर्तियों के पैडेस्टर पर लिखवाना गलत नहीं है।

पेरियार की मूर्तियों के नीचे लिखा था- 

‘ईश्वर नहीं है और ईश्वर बिलकुल नहीं है।

जिसने ईश्वर को रचा वह बेवकूफ है, 

जो ईश्वर का प्रचार करता है वह दुष्ट है 

जो ईश्वर की पूजा करता है वह बर्बर है।



ग्रेट पेरियार नायकर के ईश्वर से सवाल 

1. क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नहीं आते ? 
2. क्या तुम खुशामद परस्त हो जो लोगों से दिन रात पूजा, अर्चना करवाते हो ? 
3. क्या तुम हमेशा भूखे रहते हो जो लोगों से मिठाई, दूध, घी आदि लेते रहते हो ?
4. क्या तुम मांसाहारी हो जो लोगों से निर्बल पशुओं की बलि मांगते हो ?
5. क्या तुम सोने के व्यापारी हो जो मंदिरों में लाखों टन सोना दबाये बैठे हो ? 
6. क्या तुम व्यभिचारी हो जो मंदिरों में देवदासियां रखते हो ? 
7. क्या तुम कमजोर हो जो हर रोज होने वाले बलात्कारों को नही रोक पाते ? 
8. क्या तुम मूर्ख हो जो विश्व के देशों में गरीबी-भुखमरी होते हुए भी अरबों रुपयों का अन्न, दूध,घी, तेल बिना खाए ही नदी नालों में बहा देते हो ? 
9. क्या तुम बहरे हो जो बेवजह मरते हुए आदमी, बलात्कार होती हुयी मासूमों की आवाज नहीं सुन पाते? 
10. क्या तुम अंधे हो जो रोज अपराध होते हुए नहीं देख पाते ? 
11. क्या तुम आतंकवादियों से मिले हुए हो जो रोज धर्म के नाम पर लाखों लोगों को मरवाते रहते हो? 
12. क्या तुम आतंकवादी हो जो ये चाहते हो कि लोग तुमसे डरकर रहें ? 
13. क्या तुम गूंगे हो जो एक शब्द नहीं बोल पाते लेकिन करोड़ों लोग तुमसे लाखों सवाल पूछते हैं ?
14. क्या तुम भ्रष्टाचारी हो जो गरीबों को कभी कुछ नहीं देते जबकि गरीब पशुवत काम करके कमाये गये पैसे का कतरा-कतरा तुम्हारे ऊपर न्यौछावर कर देते हैं ? 
15. क्या तुम मुर्ख हो कि हम जैसे नास्तिकों को पैदा किया जो तुम्हे खरी खोटी सुनाते रहते हैं और तुम्हारे अस्तित्व को ही नकारते हैं ?




कोई भी मूर्ख अपने आप को आसानी से आस्तिक कह सकता है, 
क्योंकि ईश्वर का अस्तित्व स्वीकार करने के लिये किसी बुध्दिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती। लेकिन नास्तिकता के लिये साहस, तर्क और बुध्दि की जरुरत पड़ती है, इसलिये यह स्थिति उन्हीँ लोगो के लिये सम्भव  है जिनके पास तर्क, बुध्दि और मानसिक मनोबल की शक्ति हो।  
नास्तिक वही हो सकता है जिसके पास  साहस, आत्मविश्वास, बुध्दि और तर्कशक्ति हो.  
नास्तिकता ही सत्य की स्थति है और आस्तिकता भ्रम की स्थति है. 
ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं है.  यही सत्य है ---- पेरियार रामास्वामी जी



17 सितंबर  ई.वी. रामास्वामी नाइकर (पेरियार)  जयंती 

 पेरियार एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘द ग्रेट मैन’ यानि महान व्यक्ति. ई.वी. रामासमी को यह उपाधी वहां के शूद्रों एवं अस्पृश्य समाज के लोगों ने उनके आंदोलन से प्रभावित होकर दी थी. उत्तर भारत के लोगों का साक्षात्कार पेरियार से पहली बार 1968 में ललई सिंह यादव द्वारा लिखी गई ‘सच्ची रामायण’ की चाभी से होता है. ललई सिंह यादव द्वारा यह पुस्तक लिखने पर काफी विवाद हुआ और हाईकोर्ट में मुकदमा तक चला. इस मुकदमे को ललई सिंह यादव ने जीता और इस तरह उसके बाद पुस्तक से प्रतिबंध हटा. यहां तक की हाईकोर्ट ने सरकार को ललई सिंह यादव को हर्जाना देने के लिए भी कहा. तद्उपरांत 1978 के पश्चात मान्यवर कांशीराम ने उत्तर भारतीयों को ही नहीं ई.वी. रामासमी पेरियार को बामसेफ के माध्यम से एक समाज सुधारक के रूप में बहुजन समाज (अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति एवं कंनवर्टेड माइनॉरिटी) के बीच में स्थापित किया. अपनी भोली भाली सामान्य जनता को समझाने के लिए मान्यवर उनको ‘दाढ़ी वाला बाबा’ कह कर बुलाते थे. पेरियार मान्यवर कांशीराम द्वारा स्थापित पांच समाज सुधारकों यथा, नारायणा गुरु, जोतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, ई.वी.रामासमी नाइकर पेरियार एवं बाबासाहेब अंबेडकर में से एक थे.

 मान्यवर ने 1980 में अपनी मासिक अंग्रेजी पत्रिका अप्रेस्ड इंडियन के एक पूरे अंक को यह कह कर पेरियार को समर्पित किया कि उन्होंने अपना सारा जीवन सेल्फ रेस्पेक्ट मूवमेंट के लिए लगाया था. पत्रिका का कवर भी पेरियार की तस्वीर का था. पेरियार का सामाजिक एवं राजनैतिक चिंतन बहुजन समाज के लिए क्यों आवश्यक है, और उसकी जड़ें कहां से आती है, यह सब बहुजन आंदोलनकारियों का जानना आवश्यक है. बहुजन आंदोलन के लिए यह आज भी उतना ही जरूरी है जितना कल था. पेरियार के राजनैतिक एवं सामाजिक चिंतन की नींव गैर ब्राह्मणवाद एवं गैर कांग्रेसी सोच से विकसित हुई है. अपने बचपन से ही पेरियार ब्राह्मणवाद का शिकार रहे. उन्हें उनके सवर्ण समाज के शिक्षक के घर में गिलास से मुंह लगाकर पानी पीने की मनाही थी. और अगर वह किसी गैर जाति के बच्चे के साथ खेलते थे तो बालक पेरियार को अपने घर में मार पड़ती थी. इन सब चीजों से तंग आकर पेरियार बचपन में ही वाराणसी भाग गए. परंतु वहां जाकर उन्हें ब्राह्मणवाद के विभत्स रूप का पुनः अवलोकन करना पड़ा. बालक पेरियार ने जब अपनी भूख मिटाने के लिए वाराणसी की एक गली में पुण्य कमाने हेतु चलने वाले निःशुल्क भोजनालय में जब भोजन करने का प्रयास किया तो वहां के दरबान ने उन्हें यह कह कर भगा दिया कि यह भोजनालय केवल ब्राह्मणों के लिए ही हैं. और तब भूखे बालक पेरियार को पेट भरने के लिए जूठी पत्तलों से खाना खाना पड़ा और इसके लिए भी उन्हें पत्तलों के पास मंडराते हुए कुत्तों से युद्ध करना पड़ा. यह सब घटनाएं बालक पेरियार के कोमल ह्रदय पर गहरा असर कर गई. 

 अपने जवानी के दिनों में सन् 1924 में जब पेरियार तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो उन्हें कांग्रेसी ब्राह्मणों के ब्राह्मणवाद ने और दुखी किया. यहां 1924 में केरला के वैक्यूम सत्याग्रह का जिक्र करना आवश्यक है. क्योंकि इस सत्याग्रह के मार्ग में उन्हें मोहनदास करमचंद गांधी एवं ब्राह्मण कांग्रेसियों से सीधे-सीधे जुझना पड़ा. याद रहे कि 1924 का वैक्यूम सत्याग्रह शूद्रों एवं अछूत जातियों के वैक्यूम में बने मंदिर के चारो ओर बनी सड़क पर चलने के हक के लिए था. आंदोलन लंबा चला और इस दौरान पेरियार को कई बार जेल जाना पड़ा. पेरियार जब जेल में होते थे तो उनकी पत्नी एवं उनकी बहन उस आंदोलन का नेतृत्व करती थीं. एक तरह पेरियार ने अपने पूरे परिवार को बहुजन आंदोलन में लगा लिया था. अंत में पेरियार के आंदोलन के पश्चात यह सड़क शूद्रों एवं अस्पृश्यों के लिए खोल दिया गया. परंतु कांग्रेसियों एवं इतिहासकारों ने इस आंदोलन का सारा श्रेय मोहनदास करमचंद गांधी को दे दिया. 

यह बात तो दबी रहती परंतु 34 साल बाद 1958 में पेरियार ने इस आंदोलन का सारा हाल अपने मुंह से सुनाया, तब जाकर सच सामने आया. जब कहीं ये बात पता चली कि वैक्यूम सत्याग्रह का नेतृत्व तो पेरियार ने किया था. इसी कड़ी में पेरियार को कांग्रेसियों के ब्राह्मणवाद का पता दो और बातों से चला. 1925 में जब कांग्रेसियों ने शिक्षा के लिए गुरुकुल योजना शुरू कि तो यह योजना सभी वर्गों के बच्चों के लिए समान शिक्षा के लिए थी. परंतु कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं ने ब्राह्मण छात्रों के लिए अलग व्यवस्था की और अस्पृश्य जातियों के छात्रों के लिए अलग. यहां तक की ब्राह्मण छात्रों को भोजन में शुद्ध घी के पकवान दिए जाते थे और शूद्र और अस्पृश्य छात्रों को चावल का माड़. पेरियार ने इस पक्षपात पर घोर आपत्ति जताई. उन्होंने इसकी शिकायत मोहनदास करमचंद गांधी से भी कीय परंतु उन्होंने इसके लिए कुछ नहीं किया. इसी दौर में पेरियार को कांग्रेस में व्याप्त ब्राह्मणों के वर्चस्व का एक और उदाहरण दिखाई दिया. यह शूद्रों एवं अस्पृश्य जातियों के लिए राजनैतिक आरक्षण की व्यवस्था का था. पेरियार चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी उपरोक्त समुदायों के लिए आरक्षण कि मुहिम चलाए और यह व्यवस्था करे कि जब उनकी सरकार बनेगी तो कांग्रेस इन समुदायों के लिए आरक्षण का प्रबंध करेगी. इसी आशय से पेरियार ने गांधी जी से भी मंत्रणा की, परंतु कांग्रेस के ब्राह्मणवादी नेताओं एवं ब्राह्मणवादी सोच ने उनकी एक नहीं चलने दी. उन्हीं सब कृत्यों के चलते एवं गांधी के इन कृत्यों पर मौन स्वीकृति के कारण पेरियार ने 1925 में अपने प्रदेश में कांग्रेस के अध्यक्ष पद से ही नहीं बल्कि उसकी प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया.

 बाद में पेरियार ने गांधी एवं कांग्रेस की घोर भर्त्सना की और जनमानस को यह बताया कि अगर कांग्रेस का पिछड़ी एवं अस्पृश्य जातियों के प्रति रवैया समझना है तो डॉ. बी.आर आंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘गांधी एवं कांग्रेस ने अस्पृश्यों के लिए क्या किया’ अवश्य पढ़ें. यह तथ्य इस बात को स्थापित करता है कि पेरियार और बाबासाहेब आंबेडकर में कहीं न कहीं वैचारिक समानता थी और वे एक दूसरे के कार्य पर अपनी नजर रखते होंगे. इसके पश्चात पेरियार ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ आंदोलन चलाया. उन्होंने ब्राह्मण धार्मिक ग्रंथों को मिथ्या आडंबर फैलाने वाला बताया. साथ ही साथ कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन कर द्रविड़ कड़गम की स्थापना की और उनका मूल मंत्र था, ‘नो गॉड, नो रिलिजन, नो ब्राह्मण, नो कांग्रेस एंड नो गांधी.’ 
 चिंतन जरूर करें 

पेरियार ई वी रामास्वामी नायकर के बारे में अधिक जानकारी के लिये निम्नलिखित लिंक पर जायें. 

जय सिंह 

औरत बँधी है परिवार की धुरी से







औरत बँधी है
तीज से, चौथ से,
छठ से, अहोई से,
निर्जल व्रत से,
अर्घ्य से, पारण से,
मन्नत से, मौलवी से,
टोटके से, संकल्प से
झाड़ -फुक के विकल्प से |

औरत बँधी है
दो गरम फुलकों से,
घी से, तरह-तरह के हलुए से,
मलाई वाले दूध से,
इस्त्री किये हुए कपड़ों से,
जिल्द लगी किताबों से,
सलीके से दौड़ती गृहस्थी से,
घड़ी के काँटों से बँधी सहूलियतों से |

औरत बँधी है
कुछ खोने के भय से,
अपना और अपनों को
संजो-सहेज कर रखने की आदत से,
खुद को भूल जाने की खुशी से,
थकान से, जिस्मानी हरारत से |

औरत बँधी है
संतानों की सुरक्षा और संस्कार से, 
पति की छाँव में भरे सुकून से,
परिवार की धुरी से,
अपेक्षाओं से अपेक्षाओं से |


औरत बंधी है
अंतर्मन से,
अपने दिल से,
जिम्मेदारी से,  
और उस पर कमाल ये कि 
वो केवल और केवल           
हाउस-वाइफ कह कर
रख दी जाती है, एक कोने में |


जय सिंह 

बुधवार, 5 जुलाई 2017

जन्मदिन की बधाई के लिए आप सबका शुक्रिया ! आभार !

5 जुलाई मेरे जन्मदिन के अवसर पर आप सभी मित्रों, स्नेहीजनों, बड़ो का स्नेह आशीष, दुलार और अपनापन से ओत-प्रोत शुभकामनाएं, बधाई सन्देश बड़ी संख्या में प्राप्त हुए है | मै बहुत खुशी और आदर के साथ आप सब के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और आशा करता हू कि आपका इसी तरह स्नेह, सहयोग, मार्गदर्शन और आशीर्वाद सदैव मुझे मिलता रहेगा |

खास तौर पर आपके लिए हमारी तरफ से धन्यवाद की ये पंक्तियाँ भी कुबूल कीजिए  |

बहुत आभार आप सभी का
जिनसे मिलता है सही मार्गदर्शन,
न देखा कभी न मिलन हुआ आपसे
फिर भी मिला हमे बहुत अपनापन,
फेसबुक और वाट्सअप के भी हम आभारी
जो बने हमारे मिलन का माध्यम,
हम उम्र, मित्र, स्नेहीजन और अग्रज
मेरे जन्मदिन पर आपने जो,
स्नेहाशीष की कर दी बारिश
भिगो दिया रोम-रोम और अंतर्मन,
ऐसे सभी महानुभावो का
आभार बहुत और अभिनन्दन !


अंत में दिल से ये और चार लाइन


एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तों
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों
यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया
सौ बार शुक्रिया और सौ बार शुक्रिया  !!

मेरे जन्मदिन पर शुभकामनाएं भेजने पर आपका बहुत.बहुत धन्यवाद।
निश्चित रूप से आपकी शुभकामनाऐं मेरे जन्मदिन को यादगार बनाने
के साथ ही जीवन भर मे उपयोगी साबित होगी !
आपसभी का अपना ----- जय सिंह 

बुधवार, 21 जून 2017

निराशावादी होना घातक

गलतियाँ करना मानव का स्वभाव होता है, न चाहते हुए भी इन्सान बहुत सी गलतियाँ कर देता है | गलतियों की वजह ढूढने लगते है, गलतियाँ कही किसी डर की वजह से तो नहीं होता है | बहुत से कार्य में बहुत बार हम फैसला नहीं कर पाते है कि आगे क्या करना है | आज हम बता रहे है ऐसे विचारों के बारे में जो कैरियर और जीवन में आगे बढ़ने से रोकते है | इन बाधाओं को रोक लिया जाय तो आप आगे ही आगे बढ़ते जायेंगे |
  • ·        गलती होने के डर को निकाल दीजिए, कुछ नया करने का जोखिम लीजिए | गलतियाँ आपको कई सबक सिखाती है, इसलिए काम शुरू करने से पहले ही गलतियों के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित न होइए | इससे डर पैदा होता है | डरने की आवश्यकता भी नही है, क्योंकि हो सकता है कि सबसे बड़ी गलती आपके इस डर की वजह से ही हो जाए, इसलिए अपनी क्षमताओं पर कभी भी संदेह न करें |
  • ·        सही समय पर और तुरंत निर्णय करना काफी महत्वपूर्ण है | समय निकल जाने के बाद कुछ नहीं किया जा सकता है | सही समय पर निर्णय करने से आप वह कर पाएंगे जो आप सोच रहे है, बिना अमल के विचार किसी काम के नहीं है |
  • ·        कुछ फैसले करने से पहले अन्य लोगों की राय लेने की जरुरत महसूस होती है, लेकिन कैरिअर के मामले में यह फैसला अपने लक्ष्यों-उद्देश्यों और दिलचस्पी को देखते हुए ही करना चाहिए | जो भी क्षेत्र या काम आपको पसंद हो उसे करने के लिए पूरी ताकत लगाइए | आपका जोश ही आपको सफलता दिला सकता है |
  • ·        इस बात की चिंता मत करिए की आपको कौन क्या कह रहा है, आपके बारे में अन्य लोग क्या विचार रखते है | क्योंकि ऐसे अधिकांश लोग आपके जीवन का हिस्सा होते ही नहीं है | उन्हें आपके बारे में बहुत कम जानकारियां या दिलचस्पी होती है | महत्वपूर्ण यह है की आप अपने बारे में क्या सोचते है |
  • ·        ख़ुद में निवेश कीजिये, इस तरह आप कभी हारेंगे नहीं | समय के साथ आपमें और आपके जीवन में बदलाव आयेंगे | जितना समय और पैसा आप नया ज्ञान और जानकारियां अर्जित करने में लगायेंगे उतना ही आपका जीवन नियंत्रित होता जायेगा |
  • ·        ईमानदारी से जीवन जीने से मन शांत और सुखद बना रहता है, जिससे विचारों में सकारात्मक भाव उत्त्पन्न होते है | सफलता का मूल मन्त्र यही है की शांत चित्त से कोई काम ईमानदारी से किया जाय |


क्या अलग करते है सफल लोग .........
लोग कैसे लगातार एक के बाद एक सफलता हासिल करते जाते है ? वो ऐसा क्या करते है ? आप कैसे उनसे प्रेरणा ले सकते है | जानते है ऐसे कुछ तरीकों और आदतों के बारे में जो सफलता की ओर ले जाती है |
  • ·        सफल लोग सफलता के लिए सिर्फ काम और मेहनत ही नहीं करते उसका आकलन भी करते है | वे अपने कामों को लगातार जांचते रहते है | दूसरों की सलाह भी लेते है, इस तरह उन्हें पता होता है कि आगे क्या करना है और कहाँ गलती हो गई | जब तक आप अपने काम का आकलन और जाँच नहीं कर लेते, आप उसे नियंत्रित भी नहीं कर सकते |
  • ·        कई बार हम नियमित और रोजमर्रा के काम करने में इतना ज्यादा आदि हो जाते हैं कि दूसरा काम करना और अपने दायरे के बहार जाना पसंद नहीं करते | इस चक्कर में अवसर आते है और निकल जाते हैं | कोई मौका आता है तब उसे पकड़ने के लिए आगे कदम नहीं बढ़ा पाते | हमे भ्रम हो जाता है कि इसके लिए खास तरह की योग्यता और ज्ञान की जरुरत है | हम असहज हो जाते है और अक्सर निकल जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि कोई भी आदमी कभी भी किसी अवसर को आजमाने के लिए सौ प्रतिशत तैयार  नहीं होता | सफल व्यक्ति अपने कम्फर्ट जोन से बहार निकलता है, जोखिम लेता है, नई चीजें सीखता है और आगे निकल जाता है |
  • ·        कई बार हमारी दिनचर्या काफी ब्यस्त होती है | कई तरह की मीटिंग्स, फोन काल्स ,ई मेल ,के जबाब और रोजाना के काम उन्हें लगातार व्यस्त रखते है | व्यस्त दिनचर्या महत्वपूर्ण होने का एहसास भी कराने लगाती है | लेकिन यश कभी कभी यह सिर्फ भ्रम होता है | इसका समाधान है – थोड़ा रुकिए, अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को दोहराइए, जो जरुरी हो उसे सबसे पहले करिए| एक समय में एक ही कार्य कीजिय |
  • ·        मुश्किल से मुश्किल काम भी अगर कई छोटे छोटे हिस्सों में बांटकर किया जाय तो वह आसान हो जाता है | जैसे अगर आप ख़ुद को बदलना चाहते है तो छोटे, सकारात्मक और लगातार बदलाव कीजिये | यह आपमें उत्साह पैदा कर सकती है और आप सफलता की ओर बढ़ने लगते है |



मानव मन को गहराई से समझने और कमजोरियों को दूर करने के बिंदु

  • ·        जीवन में संतुष्टि और ख़ुशी हासिल करने के कई रास्ते हो सकते है | कोई आपके रास्ते पर नहीं चल रहा है तो इसका यह  मतलब नहीं कि वह अपने लक्ष्य से भटक गया है |
  • ·        गलतियाँ बताने वाले दोस्त ही अच्छे होते है | कमजोरियां बताकर वे आपके व्यक्तित्व के छुपे खजाने के बारे में बताते है, इसलिए उनका सम्मान करना चाहिए |
  • ·        मुश्किल खड़ी करने वाले लोगों पर गुस्सा न करें क्योंकि समस्याओ का सामना करने से आतंरिक शक्ति विकसित होती है | सहिष्णुता और धैर्य दिखाने का मौका भी मिलता है |
  • ·        प्रसन्नता कहीं बाहर से नहीं आती है, यह आपके अपने कर्मो से ही पैदा होती है |
  • ·        करुणा का संबंध धार्मिक विश्वास से नहीं है | यह मानवीय है और हमारी शांति और मानसिक स्थिरता के लिए जरुरी है | करुणा के बिना मनुष्य का अस्तित्व संभव नहीं है |
  • ·        हर कष्ट का कारण अज्ञानता है | ख़ुशी पाने की अपनी लालसा में हम दूसरों को कष्ट पहुंचाते है |
  • ·        समस्याओं को अपनी ताकत बनाएं, वे कितनी भी गंभीर और कष्टदायी क्यों न हो, बेहतर की उम्मीद बनाए रखें | यदि हम आशा करना छोड़ दें तो यही सबसे बड़ी गलती है |
  • ·        रिश्ते जरूरतों पर आधारित नहीं होते | सर्वश्रेष्ठ रिश्ते वही होते हैं जिनमे दोनों पक्षों के बीच प्रेम उनकी जरूरतों से ज्यादा होता है |
  • ·        चिंता किसी समस्या का समाधान नहीं है |यदि किसी मुश्किल का हल निकल सकता है तो उसके लिए चिंता क्यों करें | यदि हल नहीं निकल सकता है तो चिंता करके भी कोई फायदा नहीं |
  • ·        जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य दूसरों की मदद करना है | यदि आप किसी का मदद नहीं कर सकते तो कम से कम उनके लिए कोई मुश्किलें मत खड़ा कीजिये |
  • ·        यदि ख़ुद से प्यार नहीं करते है तो आप दूसरों से भी प्यार नहीं कर सकते | अपने लिए करुणा न हो तो दूसरो के लिए भी करुणा नहीं दिखा सकते | 

                                                                                                          जय सिंह

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी 

बुधवार, 7 जून 2017

ऐमेज़ॉन का ट्रायपोलर क्रियेटिव ऐश ट्रे

एक महिला मित्र ने  ऐमेज़ॉन का ट्रायपोलर क्रियेटिव ऐश ट्रे बेचने को लेकर मनुष्य की   ओछी मानसिकता और समाज की हर कुंठा का समाधान है योनि शीर्षक से लेख लिखी
है जो आप पढ़ सकते है 

एक लड़का एक लड़की को पसंद करता है। लड़की पसंद नहीं करती तो लड़का उसका बलात्कार करके अंगभंग कर देता है और फिर उसके सिर को गाड़ी से कुचल देता है। एक लड़की बहुत बहादुर बनती है, छींटाकशी बर्दाश्त नहीं करती तो उसे शाम में ऑफिस से लौटते वक्त सबक  सिखाया  जाता है और उसका बलात्कार हो जाता है। दो घरों में दुश्मनी होती है, तोड़फोड़ होती है, आग लगायी जाती है। इससे बदला पूरा नहीं होता तो उन घरों की महिलाओं का बलात्कार हो जाता है। दुश्मन घर की महिलाओं की योनि में घुस जाना ही जीत का प्रतीक है। लड़कियां शौच के लिए जाती हैं तो बलात्कार हो जाता है और वो नीम के पेड़ की शोभा बन जाती हैं। लड़कियां स्कूल के लिए जाती हैं तो बलात्कार हो जाता है और सड़क पर फेंक दी जाती हैं।
बांग्लादेश के विभाजन की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना बांग्ला महिलाओं की योनि में घुसकर विजयी पताका फहरा रही थी। ये अचूक तरीका था जिससे बांग्लादेश कभी विभाजित नहीं हो सकता था क्योंकि उन औरतों के गर्भ में पल रहे हज़ारों बच्चे पाकिस्तानी  योद्धाओं के थे। बोको हरम को पश्चिमी सभ्यता और शिक्षा से आपत्ति होती है तो 276 स्कूली लड़कियां अगवा कर ली जाती हैं जो कभी वापस नहीं आतीं। 

इस समाज को हर समस्या का रामबाण इलाज मिल गया है। हर कुंठा का समाधान है योनि। यहीं आकर इस ब्रह्मांड को असीम सुख की प्राप्ति होती है। क्रोध, दंभ, अहंकार, प्रतिशोध, हिंसा, नफ़रत और अनंत सुख के आग की पराकाष्ठा यहीं आकर शांत होती है। भारत ने 104 उपग्रह ब्रह्मांड में पहुंचा दिये पर मंगल ग्रह तक पहुंच चुका समाज अब भी योनि में ही घुसने की होड़ लगा रहा है। 

मुस्कुराती लड़कियों को प्रमाणपत्र मिल जाते हैं और बोल्ड लड़कियों को उपलब्ध मान लिया जाता है। हम वहां नारीवादी हो रहे हैं जहां रेप के वीडियो ;आगरा में  150 रुपये में धड़ल्ले से बिक रहे हैं और लोग उत्सुकतावश खरीद रहे हैं। अब उन्हें साधारण पॉर्न नहीं देखनाए रेप वाला चाहिए। 

ऐमेज़ॉन एक ऐश ट्रे बनाता है जिसे ट्रायपोलर क्रियेटिव ऐश ट्रे नाम दिया जाता है। इस ट्रे में एक महिला नग्न अवस्था में लेटी हैए आपकी सिगरेट जैसे-जैसे खत्म होगी, उसकी राख को अलग करने के लिए आप उसे उसकी योनि में डालेंगे। रॉड, बोतलें, लाठियां सब घुसायी जाती रही हैं। आपकी मर्ज़ी है, आप वो कर सकते हैं जिससे आपको सुकून मिले। महिलाएं कर ही क्या पाती हैं चिल्लाने के सिवा। ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो औरतों का सर्वस्व निर्धारण करने का अधिकार आपको ही दिया था।

ख़ैर, जब बोतल से लेकर लाठी तक वहां घुसायी जा सकती है तो सिगरेट क्यों नहीं! यही है इस ट्रे की क्रियेटिविटी। मैं सोच भी नहीं पा रही हूं कैसे किसी व्यक्ति ने ऐश ट्रे के इस मॉडल का प्रपोज़ल रखा होगा और किस मंशा के तहत टीम ने उसे अनुमति दी होगी। इसे किस आधार पर रचनात्मक कहने की ज़हमत उठायी गयी है! हाड़.मांस के लोथे के अलावा औरतों का कोई वजूद नहीं है,  हम सिर्फ़ भोग्या हैं! क्या आपको आनंद विभोर करने के अतिरिक्त हमारे हिस्से कोई काम नहीं आया! क्या आपकी इस तृष्णा मात्र के लिए ही हम आपके पूरक हैं! शर्म आती है ऐसी रचनात्मकता पर! लानत है उस पूरी टीम पर जिसने इसे पास कर बाज़ार में उतारने की अनुमति दी। जिस समाज को योनि में आकर ही सुकून मिलता है उसे आप न घर.परिवार की दुहाई देकर सुधार सकते हैं और न सेक्स एजुकेशन देकर। 

बधाई हो! आपकी रचनात्मकता ने हमारे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है ....

शर्म आनी चाहिए येसी गलत मानसिकता और महिलाओ के प्रति असम्मान जनक कार्य करते हुए | हमारे समाज में नारी की पूजा होती है और उसी समाज में महिलाओ के सम्मान और भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है | ऐसे दोहरे चरित्र वाले समाज के ऊपर लानत है , और लानत है ऐमेज़ॉन कम्पनी के टीम पर जो ऐसी वस्तुए बनाता है | ऐमेज़ॉन कम्पनी के ऊपर केस होनी चाहिए और इस कम्पनी को बंद करने का पुरजोर समर्थन होना चाहिए |

जय सिंह 

गुरुवार, 25 मई 2017

बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ



क्या आप सौ फीसदी विश्वास के साथ कह सकते हैं कि कन्या भ्रूण समझकर जो भ्रूण नष्ट कराया है वह वाकर्इ लड़की का भ्रूण था। यह कदम उठाने के पहले कितने विषेशज्ञों की राय ली थी, क्या आपको मालूम है गर्भपात के आंकड़ों के मुताबिक कन्याभ्रूण नष्ट कराने वाले धोखे में लड़के का भ्रूण भी नष्ट करा रहे है। एक फुंसी का आपरेशन कराने से पहले व्यकित सेकेन्ड ओपीनियन जरूर लेता है लेकिन लड़की का भ्रूण नष्ट करना  इतना आसान है कि कभी कोर्इ पुत्रीहन्ता सेकेन्ड ओपीननियन की जरूरत नहीं समझता। अल्ट्रासाउन्ड क्लीनिको व गर्भपात क्लीनिको के व्यावसायिक लाभ को नहीं समझ पाने वाले पढे-लिखे साधन सम्पन्न लोग आंख मुंदकर उनकी सलाह पर भरोसा करके भ्रूण नष्ट करा देते है। भ्रूण नष्ट होने के बाद उन्हे यह सच्चार्इ कौन बताएगा कि जिस भ्रूण को उन्होने नष्ट कराया वह कन्या भ्रूण नहीं था। इस धोखेबाजी को वे किसी अदालत में चुनौती नहीं दे सकते हैं क्योकि उन्होने गैरकानूनी ढंग से यह काम कराया था। चोरी छिपे इस काम को अंजाम देने वाले क्लीनिक संचालक इस तथ्य को बखूबी समझते हैं। उन्हे मालूम है कि पहले आप भू्ण परीक्षण की मोटी फीस अदा करेगे और अगर कह दिया जाए कि गर्भ में पल रही संतान बेटी है तो बेटे की चाहत में परीक्षण कराने आए दम्पति गर्भ भी यहीं नष्ट कराएंगे जिसकी फीस इससे अतिरिक्त होगी और तो और उनके झूठ को कोर्इ नहीं पकड़ पायेगा क्योकि पुत्र की चाह में अंधे लोग कभी इस बात की जरूरत नहीं समझते कि गर्भ नष्ट कराने से पहले अपने कुछ खास मित्रों या सम्बंदितों से ओपिनियन ले ली जाए कि क्या गर्भ में पल रही संतान वाकर्इ लड़की ही है।


लड़की यहां मानव जाति की जननी है समाज को जोड़ने वाली एक ऐसी कड़ी है जो अपने स्नेह धैर्य एवं अनुराग द्वारा सामाजिक जीवन में सुख की अभिवृद्धि करती है। बच्चों का लालन पालन परिवार की व्यवस्था तथा परिवार के सांस्कृतिक क्रिया कलापों में स्त्रियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है, चूकि पारिवारिक संगठन, सामाजिक संगठन का मूल आधार है। अतः समाज में स्त्रियों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है, किन्तु स्त्री का सामाजिक स्तर प्रत्येक काल में समान नहीं रहा है।
नारी, महिला, औरत, स्त्री। चक्षु, दृष्टि, नेत्र, नजर, आख। सूर्य, दिनकर, भास्कर, सूरज। मनुष्य, मानव, पुरूष, आदमी...............। इस तरह के और ढ़ेर सारी संज्ञाएं और उनके पर्यायवाची। सभी के एक ही अर्थ लेकिन प्रयोग की व्यावहारिक भाषा में आते ही परिवर्तित रूप। प्रयोग की बारम्बारता ने इन शब्दों के स्वतः नये अर्थ गढ़ दिये और यही वजह रही कि “सम्भ्रान्त औरत” “चक्षु चिकित्सालय” “भास्कर ग्रहण” “पर आदमी” जैसे संयुक्त शब्द कहीं कोई गलती से लिख डाले तो अर्थ एक होते हुए भी यह हास्यास्पद प्रयोग हो जाता है।
भारत में बच्चे पैदा करना इतना आसान है कि एक बार एक डाक्टर ने किसी लेख में अपना अनुभव लिखा। एक मजदूर की नन्ही बच्ची बहुत बीमार थी और अस्पताल में भर्ती करायी गयी। अस्पताल सरकारी होने के कारण इलाज मुफ्त था। बच्ची के शरीर में खून की बहुत कमी थी। उस मजदूर को सलाह दी गयी कि वह या उसकी पत्नी बच्ची को खून दे ताकि उसका जीवन बचाया जा सके। उस व्यक्ति ने हाथ जोडते हुए जवाब दिया डाक्टर साहब मेरे चार बच्चे है। इसके मर जाने से कुछ नहीं होगा लेकिन अगर खून देने से मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का पालन-पोषण कौन करेगा। बच्ची तो दोबारा हो जाएगी। जब पत्नी से खून देने की बात कही गयी तो वह भी इधर-उधर देखने लगी। धीरे से दोनों वहां से खिसक लिए और फिर वापस बच्ची देखने अस्पताल नहीं आये। भारत में यह वक्त है एक बच्चे की जान की वह भी मां -बाप की निगाह में।
उसी तरह पुत्र की चाहत में अंधे मां-बाप अपने हाथों पैसा खर्च करके बेटी की हत्या करा देते है और कभी सच्चार्इ परखने के लिए दूसरी सलाह लेने पर तीन-चार हजार रूपए दोबारा खर्च करना मुनासीब नही समझते। उन्हें मालूम है कि  बच्चे पैदा करना तो सालाना फीचर है। अगर इसी तरह जांच -परख  कर बेटियां मारते रहोगे तो सच में एक दिन वह आएगा जब महिलाए भी दुर्लभ प्रजाति घोषित कर दी जाएगी। अगर जरा भी संवेदनशीलता होगी तो यह जानकर कलेजा मुंह को आ जाएगा कि सिर्फ पंजाब में पिछले एक दशक में छह लाख 21 हजार 790 लडकियों की पहचान करके गर्भ में ही हत्या कर दी गयी। भारत में कुछ राज्यों में 1000 लड़को के सापेक्ष लड़कियों की क्या स्थिति है ये इस पर भी एक नजर डालें .........

भारत के राज्यों में लिंगानुपात

राज्य / Union Territory (U.T.)
लिंगानुपात
2011
लिंगानुपात
2001
बदलाव  2001 - 2011
1
केरल (Kerala)
1,084
1,058
+26
2
पुद्दुचेरी (Puducherry)
1,038
1,001
+37
3
तमिलनाडु (Tamil Nadu)
995
986
+9
4
आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh)
992
978
+14
5
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)
991
990
+1
6
मणिपुर (Manipur)
987
978
+9
7
मेघालय (Meghalaya)
986
975
+11
8
उड़ीसा (Odisha)
978
972
+6
9
मिजोरम (Mizoram)
975
938
+37
10
हिमांचल प्रदेश (Himachal Pradesh)
974
970
+4
11
कर्नाटक (Karnataka)
968
964
+4
12
गोवा (Goa)
968
960
+8
13
उतराखंड (Uttarakhand)
963
964
-1
14
त्रिपुरा (Tripura)
961
950
+11
15
असम (Assam)
954
932
+22
16
झारखण्ड (Jharkhand)
947
941
+6
17
वेस्ट बंगाल (West Bengal)
947
934
+13
18
लक्षद्वीप (Lakshadweep)
946
947
-1
19
नागालैंड (Nagaland)
931
909
+22
20
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)
930
920
+10
21
राजस्थान (Rajasthan)
926
922
+4
22
महाराष्ट्र (Maharashtra)
925
922
+3
23
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)
920
901
+19
24
गुजरात (Gujarat)
918
921
-3
25
बिहार (Bihar)
916
921
-5
26
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)
908
898
+10
27
पंजाब (Punjab)
893
874
+19
28
सिक्किम (Sikkim)
889
875
+14
29
जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)
883
900
-17
30
Andaman and Nicobar Islands
878
846
+32
31
हरयाणा (Haryana)
877
861
+16
32
दिल्ली (Delhi)
866
821
+45
33
चंडीगढ़ (Chandigarh)
818
773
+45
34
दादर और नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli)
775
811
-36
35
दमन और दीव (Daman and Diu)
618
709
-91

भारत (INDIA) कुल औसत (Total average)
943
933
+10
श्रोत -http://www.census2011.co.in/, http://www.indiaonlinepages.com/

अभी भी लड़कियों को बचाने के लिए पूर्ण रूप से भ्रूण हत्या पर रोक लगाना पड़ेगा और आम जन में बेटियों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने के लिए उनमे जागरूकता लाना होगा, जिससे की लड़को की तरह ही लड़कियों को प्यार और सम्मान मिले |
जितना ध्यान शेर चीतों की नस्ल को बचाने में दिया जा रहा है उससे ज्यादा ध्यान अपनी नस्ल को बचाने मे दिये जाने की जरूरत है। इतनी कमी मत होने देना कि रिश्तों का भेद ही समाप्त हो जाए, शरीर की भूख के आगे बेटी, बहन, मां का भेद मिट जाए और वह सिर्फ मादा नजर आने लगे। पंजाब वह प्रांत है जहां महिलाओं का आंकडा सबसे कमजोर है। हालांकि उसमें थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। इस सुधार के लिए श्रेय पाने की होड़ लगी है। सभी अपनी छाती ठोक रहे है। लेकिन वहां हुर्इ लगभग सात लाख कन्या भ्रूण हत्याओ की जिम्मेदारी कौन लेगा, सभी मौन है। और यह पाप करते जा रहे है। सरकार द्वारा बेटियों के लिए बहुत सारी योजनायें चला रही है जिससे की बेटियों को बचाया जा सके, उनको भी जीने का अधिकार और सम्मान से रहने का हक मिल सके |
महिला विकास योजनाएं
सरकार महिला कल्याण तथा उनके विकास के लिए समय-समय पर विकास कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं का क्रियान्वयन करती है। योजनाओं का क्रियान्वयन सरकार द्वारा प्रेरित स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, समाज कल्याण विभाग तथा ग्राम विकास मंत्रालय आदि द्वारा उपयोगी योजना का संचालन किया जाता है। सभी योजनाएं महिलाओं को आर्थिक तथा सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनाने तथा उनकी आय में निरन्तर वृद्धि के लिए शिक्षा, तकनीकी व व्यवसायिक प्रशिक्षण की दशा और दिशा की ओर प्रभावी है। सरकार द्वारा संचालित प्रमुख उपयोगी योजनाएं निम्नवत है-
वर्ष
योजनाएं
प्रमुख लक्ष्य विवरण
1997
कस्तूरबा गांधी शिक्षा योजना
महिला साक्षरता दर में वृद्धि तथा विशेष विद्यालयों की स्थापना।
2000
स्त्री शक्ति पुरस्कार योजना
महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्षरत महिलाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कर प्रोत्साहित करना।
2001
महिला स्वाधार योजना
स्वयं सहायता समूहों के गठन के माध्यम से महिलाओं का अर्थिक सामाजिक तथा उनके सशक्तिकरण के पक्ष को सशक्त करना।
2001
राष्ट्रीय पोषाहार मिशन योजना
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराना।
2003
जीवन भारती महिला सुरक्षा योजना
आयु वर्ग 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को गंभीर बीमारी तथा उनके शिशु के जन्मजात अपंगता पर सुरक्षा प्रदान करना।
2003
जननी सुरक्षा योजना
गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य केन्द्र में पंजीकरण तथा शिशु जन्म उपरान्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना।
2003
मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति
अल्पसंख्यक समुदाय में गरीब प्रतिभाशाली लड़कियों को उच्च शिक्षा हेतु विशेष छात्रवृत्ति प्रदान करना।
2004
वंदेमातरम् योजना
गरीब व पिछड़े वर्गो की गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं
2004
कस्तूरबा गांधी विद्यालय योजना
बलिकाओं का शैक्षणिक पिछड़ापन दूर करने के लिए आवासीय विद्यालय ।
2005
जननी सुरक्षा योजना
 गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी वाहन जैसी सुविधाओं के लिए नकद राशि प्रदान किया जाता है।
2011
सबला सषक्तिकरण योजना
11 से 18 साल की बालिकाओ के स्वास्थ्य परीक्षण और स्वास्थ्य सुधार करने के लिए उनके खान-पान की सुविधाए प्रदान करना।
2014
मिशन इन्द्रधनुष
गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ्य बच्चे जनने के लिए एक बार में सात रोगरोधक टिके  का एक टिका लगाये जाते है।
2014
उड़ान योजना
लड़कियो को तकनीकी शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान किया जाता है।
2015
प्रधानमंत्रत्री उज्ज्वला योजना
ग्रामीण गरीब महिलाओं को धुआं रहित भोजन पकाने के लिए निःशुल्क एलपीजी कनेक्शन वितरण किया जाता है।
2015
प्रधानमंत्री सुकन्या समृधि योजना
0-14 वर्ष की लडकियों के लिए भविष्य सुरक्षा बचत योजना डाकधर के माध्यम से धनराशि जमा कराई जाती है।
2016
बेटी बचाओ बेटी पढाओ
भ्रुण हत्या रोकने के लिए और बच्चीयों को पैदा कर उन्हे अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए योजना चलाई गई है |

इन योजनाओं की सहायता से लड़कियों को पढ़ाई के जरिए सामाजिक और वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार के इस नजरिए से महिलाओं की कल्याण सेवाओं के प्रति जागरूकता पैदा करने और निष्पादन क्षमता में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

राज्य/राष्ट्रीय महिला नीति-
 राज्य महिला नीति महिलाओं के प्रति हमारी वचनबद्धता को एक ठोस औपचारिक रूप देने का चरण है, यह भारत के संविधान में वर्णित एवं अंतराष्ट्रीय संधियों में हस्ताक्षरित भेद भाव मुक्त समतापूर्ण समाज के निर्माण का भी वचन है। हम एक ऐसा राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां महिलाएं सशक्त हों और विकास के सभी निर्णयों की प्रक्रियाओं में उनकी बराबर की भागीदारी हो। हमारी दृष्टि से सशक्तिकरण का अभिप्राय भौतिक संसाधनों, बौद्धिक संसाधनों एवं विचारधारा पर नियंत्रण है।
डा0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाये गए भारत का संविधान विकास की प्रक्रिया में महिलाओं को समान अधिकर का अवसर देता है। अनुच्छेद चौदह, पन्द्रह और सोलह में इसका उल्लेख किया गया है। संविधान के यह अनुच्छेद कानून के समक्ष बराबरी और रोजगार के समान अवसर की गारंटी देते है। और राज्य को यह शक्ति देते हैं की वह महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान कर सके। मूलभूत अधिकारों की तरह संविधान के निर्देशक सिद्धांत भी ऐसे साधन है जिनके द्वारा न्याय, स्वतंत्रता और समता का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। अनुच्छेद 39(A), (D) और (E) तथा अनुच्छेद 42 निर्देशक सिद्धांत पुरूषों और महिलाओं को आजीविका के पर्याप्त अवसर पाने के अधिकार, समान काम के लिए समान वेतन, पुरूष -महिला और बाल कामगारों के स्वास्थ्य और शक्ति की सुरक्षा, काम की न्यायपूर्ण और मानवीय परिस्थितियों और मातृत्व की सुरक्षा का आग्रह करता है। भारत के संविधान में निहित महिलाओं की प्रतिष्ठा और विकास के लिए आवश्यक विधान के आधार पर प्रदेश की यह महिला नीति बनाई गई है। महिला सशक्तिकरण महिला कल्याण या कृपा पर आधारित दृष्टि नहीं है यह महिलाओं के मूल अधिकारों को सुनिश्चित कराने की रणनीति है।
प्रदेश सरकारों की मान्यता है कि यदि महिलाओं को समर्थ बनाना है तो महिलाओं को दबाकर रखने वाली ताकतों के खिलाफ निरन्तर सामूहिक संघर्ष करना होगा। प्रदेश सरकार चाहती है कि जो भी सामाजिक, राजैतिक, आर्थिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक संसाधन समाज के पास है उनके न्यायपूर्ण पुनर्वितरण की प्रक्रिया पर जोर दिया जाये ताकि महिलाओं को उनमें बराबर का हक मिल सके। प्रदेश सरकार महिलाओं के उत्पादक ओर पुनरोत्पादक श्रम को व काम और सम्पत्ति पर उनके समान अधिकार को मान्यता देती है। हर क्षेत्र में चाहें वह परिवार, कार्यस्थल या समुदाय हो, महिलाओं को निर्णय लेने के समान अवसर देने को भी प्रदेश मान्य करता है। इसके अलावा ज्ञान प्राप्त के समान अवसर, जीने का अधिकर और बालिकाओं के लिए समान अवसर को भी स्वीकार करता है।
राज्यों की महिला नीति ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करेगी जिसमें महिलाओं के ज्ञान व योगदान को स्वीकार किया जाये, महिलाएं भयमुक्त हो, उनका आत्मसम्मान एवं गरिमा बढे उनका अपने जीवन व शरीर पर नियंत्रण बढे, वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनें। जमीन व सम्पत्ति पर उनका नियंत्रण हो वे शिक्षित हो और उनका कार्य बोझ कम हो। उनका कौशल व दक्षता बढे और वे अन्य महिलाओं के साथ संगठन बना सकें। परिवारों में व समुदायों में उनकी परम्परागत भूमिकाएं सकारात्मक रूप से बदले तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी बराबर की भागीदारी हो।
बेटियों को कमतर नहीं समझें बेटों जैसा ही व्यवहार और सुविधाए दिया जाना चाहिए, तभी बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा चरितार्थ हो पायेगा 

जय सिंह 
9450437630