गुरुवार, 5 जनवरी 2012

इस दुनिया में कोई भी अकेला रहना नहीं चाहता है


हेलो दोस्तो! इस दुनिया में कोई भी अकेला 
रहना नहीं चाहता है। उसे तलाश रहती है किसी प्यार व स्नेह करने वाले की। कोई उसे प्यार करे केवल इससे ही उसे मंजिल नहीं मिल जाती है बल्कि उसकी तलाश तब तक खत्म नहीं होती है जब तक कि कोई उसे ऐसा नहीं मिल जाता जिसे वह प्यार करे। जिसके लिए उसके दिल में भावनाओं का तूफान हिलोरे ले। 

जिसकी चाहत में उसका दिल तड़प उठे और उस तड़प में ही उसे अथाह संतुष्टि का अहसास हो। पर, प्यार की इस तलाश में कई बार कोई तीसरा बंधक बना लिया जाता है। अकेलेपन से बचने के लिए कई बार आप एक किसी को अपनी खूंटी से तब तक बांधकर रखना चाहते हैं जब तक कि आपको मनमाफिक पात्र नहीं मिल जाता। 

अकेले पड़ जाने के डर से सीमा (बदला हुआ नाम) ने भी अपने तथाकथित प्रेमी को अपने आंचल से बांध रखा है। उसका प्रेमी उसे प्यार करता है पर उसने उसे झूठी भावनाओं के जाल में फंसा रखा है। कभी-कभी उसे महसूस होता है कि क्या उसका ऐसा करना उचित है। क्या रिश्ते में ऐसी धोखाधड़ी वाजिब है ? चूंकि उसका दूसरा कोई प्रेमी नहीं है इसलिए वह इसे अनैतिक नहीं मानती है।

सीमा जी, बंधुआ मजदूरी का चलन आज भी हमारे समाज में पसरा पड़ा है। हां, उसके रूप भिन्न-भिन्न होते हैं। दो व्यक्ति यदि आत्मनिर्भर रूप से अपना-अपना जीवन जी रहे होते तो शायद मैं आपको ऐसी बात नहीं कहती। पर, प्रेम का वास्ता देकर ऐसा छल निश्चय ही नीचता है। अकेले पड़ जाने के डर से किसी व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से बंधक बनाकर रखना अनुचित है। प्रेम जिसके साथ त्याग, अनुराग, पवित्रता, कोमलता, मासूमियत जैसे विशेषण लगे हों, वहां किसी के साथ इतना बड़ा छल बहुत ही क्रूर लगता है। 

अकेले पड़ जाने के खौफ से एक पारंपरिक शादी के बंधन से तो कोई बंधा रह सकता है क्योंकि ऐसी शादियों का पहला व मुख्य मकसद यही होता है कि आपकी घर-गृहस्थी बसी रहे और सामाजिकता का निर्वाह होता रहे। 

सच तो यह है कि आपने अपना अकेलापन ढोने की जिम्मेदारी किसी और के कंधे पर डाल रखी है। एक व्यक्ति बिना सवाल-जवाब किए आपको सिर-आंखों पर बिठाए हुए है पर आपको उसकी इतनी बड़ी खूबी नहीं दिखती है। वह आपको खुश रखने का जतन करता है। आप पर आंख मूंदकर विश्वास करता है। 

ये दो खूबियां ही किसी व्यक्ति को उसके हिस्से की इज्जत देने के लिए काफी हैं। पर, उस मासूम-सज्जन इनसान के साथ ईमानदारी से पेश आने के बजाय आपने उसे बंदूक की नोक पर रखा है कि कोई मनचाहा साथी मिले और आप अलगाव का ट्रिगर दबाकर उस पर निशाना साधें। यदि आप यह बेईमानी करने से बाज नहीं आ सकती हैं तो कम से कम थोड़ा अलग रहकर उसे आत्मनिर्भर ढंग से जीने का हौसला तो दें। 

आपका मामला एक दृष्टिकोण से ज्यादा बुरा है क्योंकि आपके रिश्ते में कोई तीसरा मौजूद नहीं है। किसी जोड़े के बीच में कोई तीसरा चाहे सामान्य दोस्त बनकर भी बहुत अरसे तक रहे तो एक के मन में हल्का सा खटका रहता है। यह मामूली सी वजह भी अप्रत्यक्ष रूप से दूसरे को सावधान होने की चेतावनी देती है। ऐसा अहसास बुरा होते हुए भी फायदेमंद होता है। ऐसे अहसास का परिणाम चाहे बहुत गंभीर न भी निकले तो भी दूसरा साथी अपने रिश्ते की जांच-पड़ताल करता है। अपनी कमियों को न केवल जानने की बल्कि सुधारने की कोशिश भी करता है।

पर, आप अपने साथी को ऐसी चेतावनी भी नहीं देना चाहती हैं। आप तो बस उसे एक अनदेखे सींखचे में कैद करके तब तक रखना चाहती हैं जब तक आपका दूसरा शिकार आपके हाथ न लग जाए। किसी को झूठा प्यार दिखाकर उसे बांधकर रखना सबसे अनैतिक और बेईमानी से भरा काम है। आप अकेले होने के डर से अपने अनचाहे साथी के साथ रह रही हैं पर सच तो यह है कि उसके साथ होने के बावजूद आप तन्हा और परेशान हैं।


                                                                                                 आपका


                                                                                                जय सिंह