मंगलवार, 31 मार्च 2020

कहानी- कोरोना वायरस: अपने होते पराये

राम किशन जी एक सेवानिवृत अध्यापक हैं। सुबह दस बजे तक ये एकदम स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे। शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे, जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं । 
       परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़-साफ़ दिखाई पड़ रहा था। उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी, जिसमें इनके एक पालतू कुत्ते का बसेरा है। राम किशन जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे। उसे अपने बच्चे की तरह पालकर इसको नाम दिया था मार्शल। इस कमरे में अब राम किशन जी व उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं। दोनों बेटों,.बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये थे। सभी परिवार वाले उनके हालत को देखकर डरे-सहमे और दुरी बना लिए थे।
       भारत सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा जारी किये गये नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी। खबर मुहल्ले भर में फैल चुकी थी। लेकिन मिलने कोई नहीं आया। साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए,  हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की  एक बूढी अम्मा आई और राम किशन जी की पत्नी से बोली। अरे कोई इसके पास क्यों नहीं है ? रामकिशुन को कोई दूर से खाना भी सरका दो । कुछ खा-पी ले बेचारा। वे अस्पताल वाले आयेंगे तो इसे भूखे को ही ले जाएँगे उठा के। अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देनें के लिये कौन जाए। बहुओं ने खाना अपनी सास को पकड़ा दिया। अब राम किशन जी की पत्नी के हाथ में थाली पकड़ते ही काँपने लगी, पैर मानो खूँटे से बाँध दिये गए हों । 
     इतना देखकर वह पड़ोसन बूढ़ी अम्मा बोली राम किशन के पत्नी से बोली की अरे ये तेरा तो पति है। तू भी.............इसे छोड़कर दूर खड़ी है । जा तू ही मुँह बाँध के चली जा और दूर से थाली सरका दे। वो अपने आप उठाकर खा लेगा। सारा वार्तालाप राम किशन जी चुपचाप सुन रहे थे उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से  उन्होंने कहा कि कोई मेरे पास ना आये तो बेहतर है मुझे भूख भी नहीं है । 
    इसी बीच एम्बुलेंस आ जाती है और राम किशन जी को एम्बुलेंस में बैठने के लिये बोला जाता है। राम किशन जी घर के दरवाजे पर आकर एक बार पलटकर अपने घर की तरफ देखते हैं । पोती-पोते घर में लगी सीसे की खिड़की से मास्क लगाए दादा को निहारते हुए, और उन बच्चों के पीछे सर पर पल्लू रखे उनकी दोनों बहुएँ निराशा भरी नजरों से देख रही थी घर के दरवाजे पर दोनों बेटे कोरोना के डर से काफी दूर अपनी माँ के साथ खड़े थे । तरह-तरह के विचारों का तूफान राम किशन जी के अंदर उमड़ रहा था। उनकी पोती ने उनकी तरफ हाथ हिलाते हुए बाय-बाय कही। एक क्षण को उन्हें लगा कि जिंदगी ने अब अलविदा कह दिया
    राम किशन जी की आँखें आंसुओ से लबलबा उठी। उन्होंने हॉस्पिटल जाने से पहले बैठकर अपने घर की देहरी को चूमा और एम्बुलेंस में जाकर बैठ गये। उनकी पत्नी ने तुरंत पानी से भरी बाल्टी घर की उस देहरी पर उलेड दी जिसको राम किशन चूमकर एम्बुलेंस में बैठे थे। इसे तिरस्कार कहो या मजबूरी, लेकिन ये दृश्य देखकर इंसानियत भी शर्मशार हो रहा था। कुत्ता भी रो पड़ा और उसी एम्बुलेंस के पीछे-पीछे हो लिया जो राम किशन जी को अस्पताल लेकर जा रही थी। 
    राम किशन जी अस्पताल में 14 दिनों के अब्ज़र्वेशन पीरियड में रहे। उनकी सभी आवश्यक जांचे समय से की जा रही थी। जाँच सामान्य थी। कुछ दिन के बाद उन्हें पूर्णतः स्वस्थ घोषित करके छुट्टी दे दी गयी। हॉस्पिटल से निकलने से पहले उन्हें उम्मीद थी की घर वाले उनको लेने आयेंगे। जब वह अस्पताल से बाहर निकले तो उनको लेने के लिए कोई नहीं आया था। अस्पताल के गेट पर उनका कुत्ता मार्शल बैठा दिखाई दिया। दोनों एक दूसरे से लिपट गये। एक की आँखों से गंगा तो एक की आँखों से यमुना बहे जा रही थी। जब तक उनके बेटों की लग्ज़री लम्बी गाड़ी उन्हें लेने पहुँचती, तब तक वो अपने कुत्ते को लेकर किसी दूसरी दिशा की ओर निकल चुके थे। 
    उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिये। आज उनके फोटो के साथ उनकी गुमशुदगी की खबर छपी है। अखबार में लिखा है कि सूचना देने वाले को 40 हजार का ईनाम दिया जायेगा । 40 हजार.......हाँ पढ़कर  ध्यान आया कि इतनी ही तो मासिक पेंशन आती थी उनकी। जिसको वो परिवार के ऊपर हँसते-गाते उड़ा दिया करते थे।

 हाँ तो साथियों, कोरोना वायरस से अपने आप को बचा के रखिये, घर में बने रहिये, सुरक्षित रहिये, बार-बार साबुन से हाथ-मुह धोइएमुह, नाक और आँख को बार-बार न छुइए, संदिग्ध लोगों से दुरी बनाकर रखिये। वरना क्या पता अपना ही हमे पल भर में बेगाना बना दे। जिंदगी भर की कमाई हुई मान सम्मान, धन दौलत सब एक छोटी सी असावधानी और गलती के कारण सब कुछ खोना पड़ जाय।


आपका 
जय सिंह 
युवा कवि, कहानीकार, व्यंगकार, गीतकार