शनिवार, 30 मार्च 2013

शादी का न्योता भी फेसबुक से


वो दिल का हाल समझ लेते थें खत का मजमून पढकर, जमाना अब एसएमएस और फेसबुक का है। अब कैसे उन्हे समझाये हाल ए दिल''
दिल के उमड़ते जज्बातों को शब्दों का रूप देकर अपने पिया तक पहुंचाने का वो दौर ही कुछ और था। शादी की शुभकामनाएं देने के लिए बाजारों के चक्कर काटना और फिर वहां से एक ऐसा कार्ड चुनना कि बस उसे पाने वाला देखता ही रह जाय। कितना अच्छा था वो दौर। गुजरे जमाने की बात नही है, लेकिन पुरानी जरूर पड़ गयी है। आधुनिकता के इस दौर में आयी संचार क्रांनित की दौड़ में वो लंबे-लंबे पत्र और कार्ड शीट पर उतरी वो शानदार चित्रकारी के नमूने वाले शुभकामना संदेश वाले कार्ड पीछे रह गये है।
इनकी जगह ले ली है र्इ-कबूतरों यानी एसएमएस, र्इ-मेल और फेसबुक । अब न तो अपनों के हाल जानने के लिए कर्इ कर्इ दिनों का इंतजार बचा है और न ही कर्इ पन्नों में पूरे परिवार की बतकही। समय बदला तो मूल्य भी बदल गये। पत्र के शुरू में वो बड़ो का चरणस्पर्श और अंत में गलती क्षमा याचना अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है, इसकी जगह ले ली है हाय, हैलो और गुडबाय ने। लंबे चौड़े पत्रों को लिखने का अब न तो लोगों के पास वक्त बचा है और न ही इसकी जरूरत समझी जाती है। परिजनों और रिश्तेदारों की कुशलक्षेम पूछनी है तो मोबाइल और इंटरनेट है न।
मोबाइल के मैसेज बाक्स में गये, चार लाइन टाइप कर सेंड कर दी और हो गयी अपनी पूरी बात। जिन लोगों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा है वे मेल कर अपनों का हालचाल जान लेते है। इसमें टाइम की बचत और पैसे की भी। प्रेमिका को पटाना है तो उसके घर जाकर या फिर रास्ते में कागज का टुकडा थमाने का जोखिम उठाने की जरूरत नहीं बस उसका मोबाइल नंबर मैनेज करो और एक मैसेज में दिल का हाल उसके पास होगा। रूठी हुर्इ अपनी कामकाजी पत्नी को मनाने के लिए वेडिंग एनिवर्सरी पर कार्ड तलाशने की जरूरत नहीं बस इंटरनेट पर जाओ और कोर्इ अच्छी सी तस्वीर निकालकर उसे मेंल कर दो। बन गयी न बात पैसे भी बच गये और बीवी भी मान गयी। अब तो लोग शादी के कार्ड भी छपवाने की जहमत नही उठाते है। कंप्यूटर पर ग्राफिक्स के जरिये एक सुंदर सा कार्ड तैयार  किया और उस पर पूरी शादी के कार्यक्रम का विवरण देकर एक साथ सभी मित्रों को मेल कर दिया। यही नहीं जिनको मेल नहीं कर प्यो उन्हे अपने लेजर प्रिंटर से प्रिंट निकाल कर दे दिया। समय भी बचा और आसानी से सभी के पास सूचना भी पहुंच गयी।
र्इ-मेल  और मोबार्इल एसएमएस के इस दौर में जहां इस धंधे से जुड़े लोगों की जेबें दिन दूनी रात चौगुनी की तर्ज पर भरती जा रही है, वहीं कार्ड या फिर गिफट शाप चलाने वालों का धंधा मंदा हो चला है। र्इमेल और एसएमएस के चलन की सबसे अधिक मार ग्रीटिंग कार्ड के बाजार पर पडी है। पहले जहां नये साल से लेकर कि्रसमस तक हर छोटे बडे कार्ड की मिंड होती थी वहीं अब छोटे त्योहारों पर कोर्इ कार्ड पूछने तक नही आता है। जन्मदिन और वेडिंग एनिवर्सरी की बधार्इ तो लोग एसएमएस के जरिये ही देना उचित समझते है।

                      जय सिंह

सोमवार, 18 मार्च 2013

पुस्तकालय अधिनियम 2006 को लागू कराने के लिए सोसाइटी फार प्रमोशन आफ लाइब्रेरी, उत्तर प्रदेश की बैठक सम्पन्न।

लखनऊसोसाइटी फार प्रमोशन आफ लाइब्रेरी, उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में दिनांक- 18 मार्च दिन सोमवार को जी0पी0ओ0 के सामने डा0 भीमराव अम्बेडकर पी0जी0 छात्रावास के सभागार में समय प्रात: 11 बजे से सोसाइटी के सभी पदाधिकारियों की एक आवश्यक बैठक की गर्इ। इस बैठक में उत्तर प्रदेश में ''पुस्तकालय अधिनियम 2006'' को लागू कराने के लिए जोर दिया गया।
सोसाइटी के अध्यक्ष डा0 एम0पी0 सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में ''पुस्तकालय अधिनियम 2006'' पिछली समाजवादी पार्टी सरकार में पूर्व मुुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा बनाया गया था। परन्तु यह अधिनियम लागू नही हो पाया और सरकार बदल गर्इ। जब बहुजन समाज पार्टी की सरकार आर्इ तो इस अधिनियम पर कोर्इ ध्यान नही दी और यह पुस्तकालय अधिनियम 2006 राजनीति का शिकार बन गयी। जब पुन: समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो पुस्तकालय समाज के लोगों में पुन: आशा की किरण जगी की शायद इस बार पुस्तकालय अधिनियम 2006 लागू हो जाय। परन्तु सपा सरकार के एक साल बीत जाने के बाद भी इस पर कोर्इ ध्यान नही दिया जा रहा है जबकि सोसाइटी के पदाधिकारी और पुस्तकालय समाज के सैकडो लोग बार-बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुस्तकालय अधिनियम को लागू कराने की मांग कर रहे है।
सोसाइटी के सचिव आदेश शर्मा ने विगत 24 फरवरी 2013 को आयोजित सेमिनार की सफलता एवं पुस्तकालय समाज के लोगों के उत्साह की सराहना करते हुए कहे कि जब तक ''पुस्तकालय अधिनियम 2006'' लागू नही हो जाता है तब तक हम सभी चैन से नहीं बैठेगें और पुस्तकालय समाज के लाखों प्रशिक्षित बेरोजगारों के हक की लडार्इ के लिए जो भी करना होगा करेंगें।
सरकार के गलत नीति से पुस्तकालय समाज के लोगों में सरकार के प्रति बहुत ही रोष ब्याप्त है, कि इतने प्रयास के बाद भी सपा सरकार द्वारा बनार्इ गर्इ अधिनियम खुद लागू नहीं कर रही है।
इस बैठक में सोसाइटी के पदाधिकारियों द्वारा निर्णय लिया गया कि यदि सरकार एक महिने के अन्दर पुस्तकालय अधिनियम 2006 को लागू नही करती है तो वे दो हजार से ज्यादा पुस्तकालय समाज के शिक्षक, छात्र, पुस्तकालयध्यक्ष और अन्य बेरोजगार लोगों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन और चक्का जाम करेगें जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
इस बैठक को मुख्य रूप से स्वतंत्र शुक्ला,पी0के0 श्रीवास्तव, जय सिंह, अजय कुमार, हरिओम, सी0पी0 दूबे, अफरोज आलम, कमलेश यादव, सतीष कुमार आदि ने संबोधित किया। बैठक में लगभग 50 लोग उपस्थित  थे।