शनिवार, 4 अगस्त 2012

खबरों को तरस रहे है ख़बरिया चैनल




टी0वी0 के मनोरंजन चैनलों पर बरसों से चल रहे सास बहू के झगड़े ,कहीं फिल्मी धुनों के आधार पर संगीत की प्रतिभाओं की खेज़ करते कार्यक्रम, कहीं रामायण और कहीं महाभारत या फिर घिसे पिटे फूहड़ चुटकुले सुनाते सुनाते स्वंय भी घिस पिट चुके एक दर्शक ने जब देश दिुनिया के हाल चाल जानने के लिए एक ख़बरिया चैनल का बटन दबाया तो वहां भी राजू श्रीवास्तव का चेहरा झांक रहा था। दर्शक महोदय अब दूसरे न्यूज चैनल पर पहुचे। खबर के लिए हर कीमत अदा करने का दावा करने वाले इस चैनल पर भीर किसी खबर की जगह कोर्इ भगवान पधारे हुए थे। खबर की तलाश  में भटकते इस दर्शक ने अब एक और चैनल का रूख किया। लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी। यहां एंकर महोदय श्ऱ़द्धा के सागर में डूबे हुए अपने दर्शकों को श्रीलंका के उन स्थानों के दर्शन करा रहे थे जिनका वर्णन रामरित मानस में किया गया है। एक दृश्य में वह स्थान बताया जा रहा था जहां श्री हनुमान सीता माता की खोज करते हुए समुद्र पार कर सबसे पहले पहुंचे थे। अगले ही पल एंकर महोदय गर्व से कह रहे थे कि यह अशोक वाटिका का वह स्थान है जहां रावण ने सीता माता को बन्दी बना कर रखा था। खबर देखने के लिए उत्सुक टी0 वी0 के यह दर्शक महोदय अब तक झल्ला चुके थे। उनको खबरिया चैनलों का यह रवैया बिल्कुल समझ नहीं आया। हार कर उन्होने टी0 वी0 का सिवच आफ कर दिया औैर सुबह का बासी अखबार एक बार और दोहराने बैठ गए।
खबरों की दुनिया में दिलचस्पी रखने वाले दर्शकों सेअब यह छिपा नहीं है कि देश के सबसे लोकप्रिय न्यूज़ चैनल होने का दावा करने वालों के पास भी हर दिन इतनी संख्या में समाचार नही  होते जिन्हें वे पूरे दिन अपने दर्शकों को लगातार दिखा सकें। देश के विभिन्न शहरों और कस्बों में फैले उनके तथकथित तेज तर्रार रिपोर्टर पूरे दिन में इतनी खबरें भी नहीं बटोर पाते जिनसे दर्शक कुछ नयापन महसूस कर सकें। साधारण मारपीट, वाहनो  की टक्कर, आग लगने और बुझाने के दृश्यों को लाइव खबर के नाम पर चीख-चीख कर बताने वाले इन चैनलों के कर्ताधर्ताओं को इतना भी पता नहीं होता कि वास्तव में ऐसे समाचारों को अगले दिन के अखबारों में सिंगिल कालम जगह भी मुशिकल से नसीब होती है। इसीलिए यह इनकी मजबूरी भी है कि एक चैनल दिन रात सार्इ बाबा के प्रताप बखान करता रहता है। उससे कुछ फुर्सत पाता है तो किसी पेड़ में गणेश भगवान की आकृति दिखाता है अथवा किसी पपीते में भगवान विष्णु के दर्शन कराता है। खबरें अन्य चैनलों के पास भी नहीं है। इसलिए वे भी ऐसे ही टोटके अपनाते रहते है।
न्यूज़ चैनलों के कामकाज से जुड़े कुछ प्रभारी स्तर के लोग साफ मानते भी हैं कि इतनी खबरें हमारे लिए जुटाना सम्भव नहीं होता जिनसे हर बुलेटिन में कुछ नयापन दिखार्इ दे। इसीलिए हर खबर लागातार कर्इ- कर्इ बुलेटिनों में दोहराना आवश्यक होता है लेकिन इतने से भी जब काम नही। चला तब हर चैनल ने अपना- अपना प्रबन्ध किया । किसी ने मनोरंजन चैनलों से हास्य व्यंग के बरसों पुराने कार्यक्रमों के टुकड़े उधार ले लिए।प्रयोग चल निकला तो राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल, भगवन्तमान और उ उनके जैसे सभी दिूषकों को हर न्यूज चैनल पर फुटेज मिलने लगी। लेकिन अभी भी बहुत बड़े बड़े स्लाट खाली थे, जिन्हे भरने के लिए हिन्दी फिल्मों के दृश्यों और गानों पर आधारित कार्यक्रम तैयार किए गए किसी ने फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियों के निजी जीवन से जुड़ी खबरें दिखाना शुरू कर दिया और उसके बाद लगभग सभी चैनलों ने देश विदेश के विभिन्न धार्मिक स्थानों को दिखाने के साथ दर्शकों की धार्मिक भवनाओ का दोहन आरम्भ कर दिया।
आम दर्शक खबर देखना चाहता है। इस उददेश्य के लिए वह एक के बाद दूसरा चैनल बदलता है मगर दसे निराशा ही हाथ लगती है। खबर के नाम पर उसे जो कुछ देखने को मिल रहा है वह खबर के अलावा और सब कुछ है। एक प्रतिषिठत सवैक्षण संस्थान द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भरतीय दर्शक अपने न्यूज चैनल पर विशुद्ध खबरें देखने को ही प्राथमिकता देता है और इस बीच उसे हास्य अथवा फिल्मों पर आधारित कार्यक्रम  देखना कतर्इ गवारा नही है। लेकिन चैनलों को इसकी परवाह शायद बेहद कम है। इसीलिए इन पर अब भी खबरों की संख्या और घट रही है तथा बचा हुआ समय उलजलूल कार्यक्रमों के सहारे काटा जा रहा है। उपर से इनका एक तुर्रा और भी है। कहा जा रहा है कि यह सब दिखाना मजबूरी है क्योंकि उनके दर्शकों को यही पसन्द आ रहा है। सीधा सा अर्थ यही है कि दर्शक मूर्ख है। लेकिन इन्हें नहीं मालूम कि जनता कभी मूर्ख नहीं होती मौका पाते ही वह दूध का दूध और पानी का पानी कर देती है और उसके निर्णय में कभी गलती की गुंजाइश भी नहीं होती। बड़े बड़े निरंकुश तानाशाहों और घमंडी नेताओं को जनता समय आने पर उनकी औकात दिखा चुकी है। धराधर  बन्द होतें न्यूज चैनलों को देखकर बाकियों को सबक लेने की जरूरत है एक बार विश्वसनीयता भंग होने के बाद किसी भी न्यूज़ चैनल को अपना असितत्व बनाए रखना असंभव ही होगा। न्यूज़ चैनलों के पास अब भी स्वय को खबरों की दुनिया तक समेट लेने का समय है।
प्रस्तुति-    जय सिंह 
9450437630