गुरुवार, 25 मई 2017

बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ



क्या आप सौ फीसदी विश्वास के साथ कह सकते हैं कि कन्या भ्रूण समझकर जो भ्रूण नष्ट कराया है वह वाकर्इ लड़की का भ्रूण था। यह कदम उठाने के पहले कितने विषेशज्ञों की राय ली थी, क्या आपको मालूम है गर्भपात के आंकड़ों के मुताबिक कन्याभ्रूण नष्ट कराने वाले धोखे में लड़के का भ्रूण भी नष्ट करा रहे है। एक फुंसी का आपरेशन कराने से पहले व्यकित सेकेन्ड ओपीनियन जरूर लेता है लेकिन लड़की का भ्रूण नष्ट करना  इतना आसान है कि कभी कोर्इ पुत्रीहन्ता सेकेन्ड ओपीननियन की जरूरत नहीं समझता। अल्ट्रासाउन्ड क्लीनिको व गर्भपात क्लीनिको के व्यावसायिक लाभ को नहीं समझ पाने वाले पढे-लिखे साधन सम्पन्न लोग आंख मुंदकर उनकी सलाह पर भरोसा करके भ्रूण नष्ट करा देते है। भ्रूण नष्ट होने के बाद उन्हे यह सच्चार्इ कौन बताएगा कि जिस भ्रूण को उन्होने नष्ट कराया वह कन्या भ्रूण नहीं था। इस धोखेबाजी को वे किसी अदालत में चुनौती नहीं दे सकते हैं क्योकि उन्होने गैरकानूनी ढंग से यह काम कराया था। चोरी छिपे इस काम को अंजाम देने वाले क्लीनिक संचालक इस तथ्य को बखूबी समझते हैं। उन्हे मालूम है कि पहले आप भू्ण परीक्षण की मोटी फीस अदा करेगे और अगर कह दिया जाए कि गर्भ में पल रही संतान बेटी है तो बेटे की चाहत में परीक्षण कराने आए दम्पति गर्भ भी यहीं नष्ट कराएंगे जिसकी फीस इससे अतिरिक्त होगी और तो और उनके झूठ को कोर्इ नहीं पकड़ पायेगा क्योकि पुत्र की चाह में अंधे लोग कभी इस बात की जरूरत नहीं समझते कि गर्भ नष्ट कराने से पहले अपने कुछ खास मित्रों या सम्बंदितों से ओपिनियन ले ली जाए कि क्या गर्भ में पल रही संतान वाकर्इ लड़की ही है।


लड़की यहां मानव जाति की जननी है समाज को जोड़ने वाली एक ऐसी कड़ी है जो अपने स्नेह धैर्य एवं अनुराग द्वारा सामाजिक जीवन में सुख की अभिवृद्धि करती है। बच्चों का लालन पालन परिवार की व्यवस्था तथा परिवार के सांस्कृतिक क्रिया कलापों में स्त्रियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है, चूकि पारिवारिक संगठन, सामाजिक संगठन का मूल आधार है। अतः समाज में स्त्रियों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है, किन्तु स्त्री का सामाजिक स्तर प्रत्येक काल में समान नहीं रहा है।
नारी, महिला, औरत, स्त्री। चक्षु, दृष्टि, नेत्र, नजर, आख। सूर्य, दिनकर, भास्कर, सूरज। मनुष्य, मानव, पुरूष, आदमी...............। इस तरह के और ढ़ेर सारी संज्ञाएं और उनके पर्यायवाची। सभी के एक ही अर्थ लेकिन प्रयोग की व्यावहारिक भाषा में आते ही परिवर्तित रूप। प्रयोग की बारम्बारता ने इन शब्दों के स्वतः नये अर्थ गढ़ दिये और यही वजह रही कि “सम्भ्रान्त औरत” “चक्षु चिकित्सालय” “भास्कर ग्रहण” “पर आदमी” जैसे संयुक्त शब्द कहीं कोई गलती से लिख डाले तो अर्थ एक होते हुए भी यह हास्यास्पद प्रयोग हो जाता है।
भारत में बच्चे पैदा करना इतना आसान है कि एक बार एक डाक्टर ने किसी लेख में अपना अनुभव लिखा। एक मजदूर की नन्ही बच्ची बहुत बीमार थी और अस्पताल में भर्ती करायी गयी। अस्पताल सरकारी होने के कारण इलाज मुफ्त था। बच्ची के शरीर में खून की बहुत कमी थी। उस मजदूर को सलाह दी गयी कि वह या उसकी पत्नी बच्ची को खून दे ताकि उसका जीवन बचाया जा सके। उस व्यक्ति ने हाथ जोडते हुए जवाब दिया डाक्टर साहब मेरे चार बच्चे है। इसके मर जाने से कुछ नहीं होगा लेकिन अगर खून देने से मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का पालन-पोषण कौन करेगा। बच्ची तो दोबारा हो जाएगी। जब पत्नी से खून देने की बात कही गयी तो वह भी इधर-उधर देखने लगी। धीरे से दोनों वहां से खिसक लिए और फिर वापस बच्ची देखने अस्पताल नहीं आये। भारत में यह वक्त है एक बच्चे की जान की वह भी मां -बाप की निगाह में।
उसी तरह पुत्र की चाहत में अंधे मां-बाप अपने हाथों पैसा खर्च करके बेटी की हत्या करा देते है और कभी सच्चार्इ परखने के लिए दूसरी सलाह लेने पर तीन-चार हजार रूपए दोबारा खर्च करना मुनासीब नही समझते। उन्हें मालूम है कि  बच्चे पैदा करना तो सालाना फीचर है। अगर इसी तरह जांच -परख  कर बेटियां मारते रहोगे तो सच में एक दिन वह आएगा जब महिलाए भी दुर्लभ प्रजाति घोषित कर दी जाएगी। अगर जरा भी संवेदनशीलता होगी तो यह जानकर कलेजा मुंह को आ जाएगा कि सिर्फ पंजाब में पिछले एक दशक में छह लाख 21 हजार 790 लडकियों की पहचान करके गर्भ में ही हत्या कर दी गयी। भारत में कुछ राज्यों में 1000 लड़को के सापेक्ष लड़कियों की क्या स्थिति है ये इस पर भी एक नजर डालें .........

भारत के राज्यों में लिंगानुपात

राज्य / Union Territory (U.T.)
लिंगानुपात
2011
लिंगानुपात
2001
बदलाव  2001 - 2011
1
केरल (Kerala)
1,084
1,058
+26
2
पुद्दुचेरी (Puducherry)
1,038
1,001
+37
3
तमिलनाडु (Tamil Nadu)
995
986
+9
4
आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh)
992
978
+14
5
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)
991
990
+1
6
मणिपुर (Manipur)
987
978
+9
7
मेघालय (Meghalaya)
986
975
+11
8
उड़ीसा (Odisha)
978
972
+6
9
मिजोरम (Mizoram)
975
938
+37
10
हिमांचल प्रदेश (Himachal Pradesh)
974
970
+4
11
कर्नाटक (Karnataka)
968
964
+4
12
गोवा (Goa)
968
960
+8
13
उतराखंड (Uttarakhand)
963
964
-1
14
त्रिपुरा (Tripura)
961
950
+11
15
असम (Assam)
954
932
+22
16
झारखण्ड (Jharkhand)
947
941
+6
17
वेस्ट बंगाल (West Bengal)
947
934
+13
18
लक्षद्वीप (Lakshadweep)
946
947
-1
19
नागालैंड (Nagaland)
931
909
+22
20
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)
930
920
+10
21
राजस्थान (Rajasthan)
926
922
+4
22
महाराष्ट्र (Maharashtra)
925
922
+3
23
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)
920
901
+19
24
गुजरात (Gujarat)
918
921
-3
25
बिहार (Bihar)
916
921
-5
26
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)
908
898
+10
27
पंजाब (Punjab)
893
874
+19
28
सिक्किम (Sikkim)
889
875
+14
29
जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)
883
900
-17
30
Andaman and Nicobar Islands
878
846
+32
31
हरयाणा (Haryana)
877
861
+16
32
दिल्ली (Delhi)
866
821
+45
33
चंडीगढ़ (Chandigarh)
818
773
+45
34
दादर और नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli)
775
811
-36
35
दमन और दीव (Daman and Diu)
618
709
-91

भारत (INDIA) कुल औसत (Total average)
943
933
+10
श्रोत -http://www.census2011.co.in/, http://www.indiaonlinepages.com/

अभी भी लड़कियों को बचाने के लिए पूर्ण रूप से भ्रूण हत्या पर रोक लगाना पड़ेगा और आम जन में बेटियों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने के लिए उनमे जागरूकता लाना होगा, जिससे की लड़को की तरह ही लड़कियों को प्यार और सम्मान मिले |
जितना ध्यान शेर चीतों की नस्ल को बचाने में दिया जा रहा है उससे ज्यादा ध्यान अपनी नस्ल को बचाने मे दिये जाने की जरूरत है। इतनी कमी मत होने देना कि रिश्तों का भेद ही समाप्त हो जाए, शरीर की भूख के आगे बेटी, बहन, मां का भेद मिट जाए और वह सिर्फ मादा नजर आने लगे। पंजाब वह प्रांत है जहां महिलाओं का आंकडा सबसे कमजोर है। हालांकि उसमें थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। इस सुधार के लिए श्रेय पाने की होड़ लगी है। सभी अपनी छाती ठोक रहे है। लेकिन वहां हुर्इ लगभग सात लाख कन्या भ्रूण हत्याओ की जिम्मेदारी कौन लेगा, सभी मौन है। और यह पाप करते जा रहे है। सरकार द्वारा बेटियों के लिए बहुत सारी योजनायें चला रही है जिससे की बेटियों को बचाया जा सके, उनको भी जीने का अधिकार और सम्मान से रहने का हक मिल सके |
महिला विकास योजनाएं
सरकार महिला कल्याण तथा उनके विकास के लिए समय-समय पर विकास कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं का क्रियान्वयन करती है। योजनाओं का क्रियान्वयन सरकार द्वारा प्रेरित स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, समाज कल्याण विभाग तथा ग्राम विकास मंत्रालय आदि द्वारा उपयोगी योजना का संचालन किया जाता है। सभी योजनाएं महिलाओं को आर्थिक तथा सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनाने तथा उनकी आय में निरन्तर वृद्धि के लिए शिक्षा, तकनीकी व व्यवसायिक प्रशिक्षण की दशा और दिशा की ओर प्रभावी है। सरकार द्वारा संचालित प्रमुख उपयोगी योजनाएं निम्नवत है-
वर्ष
योजनाएं
प्रमुख लक्ष्य विवरण
1997
कस्तूरबा गांधी शिक्षा योजना
महिला साक्षरता दर में वृद्धि तथा विशेष विद्यालयों की स्थापना।
2000
स्त्री शक्ति पुरस्कार योजना
महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्षरत महिलाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कर प्रोत्साहित करना।
2001
महिला स्वाधार योजना
स्वयं सहायता समूहों के गठन के माध्यम से महिलाओं का अर्थिक सामाजिक तथा उनके सशक्तिकरण के पक्ष को सशक्त करना।
2001
राष्ट्रीय पोषाहार मिशन योजना
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराना।
2003
जीवन भारती महिला सुरक्षा योजना
आयु वर्ग 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को गंभीर बीमारी तथा उनके शिशु के जन्मजात अपंगता पर सुरक्षा प्रदान करना।
2003
जननी सुरक्षा योजना
गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य केन्द्र में पंजीकरण तथा शिशु जन्म उपरान्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना।
2003
मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति
अल्पसंख्यक समुदाय में गरीब प्रतिभाशाली लड़कियों को उच्च शिक्षा हेतु विशेष छात्रवृत्ति प्रदान करना।
2004
वंदेमातरम् योजना
गरीब व पिछड़े वर्गो की गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं
2004
कस्तूरबा गांधी विद्यालय योजना
बलिकाओं का शैक्षणिक पिछड़ापन दूर करने के लिए आवासीय विद्यालय ।
2005
जननी सुरक्षा योजना
 गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी वाहन जैसी सुविधाओं के लिए नकद राशि प्रदान किया जाता है।
2011
सबला सषक्तिकरण योजना
11 से 18 साल की बालिकाओ के स्वास्थ्य परीक्षण और स्वास्थ्य सुधार करने के लिए उनके खान-पान की सुविधाए प्रदान करना।
2014
मिशन इन्द्रधनुष
गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ्य बच्चे जनने के लिए एक बार में सात रोगरोधक टिके  का एक टिका लगाये जाते है।
2014
उड़ान योजना
लड़कियो को तकनीकी शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान किया जाता है।
2015
प्रधानमंत्रत्री उज्ज्वला योजना
ग्रामीण गरीब महिलाओं को धुआं रहित भोजन पकाने के लिए निःशुल्क एलपीजी कनेक्शन वितरण किया जाता है।
2015
प्रधानमंत्री सुकन्या समृधि योजना
0-14 वर्ष की लडकियों के लिए भविष्य सुरक्षा बचत योजना डाकधर के माध्यम से धनराशि जमा कराई जाती है।
2016
बेटी बचाओ बेटी पढाओ
भ्रुण हत्या रोकने के लिए और बच्चीयों को पैदा कर उन्हे अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए योजना चलाई गई है |

इन योजनाओं की सहायता से लड़कियों को पढ़ाई के जरिए सामाजिक और वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार के इस नजरिए से महिलाओं की कल्याण सेवाओं के प्रति जागरूकता पैदा करने और निष्पादन क्षमता में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

राज्य/राष्ट्रीय महिला नीति-
 राज्य महिला नीति महिलाओं के प्रति हमारी वचनबद्धता को एक ठोस औपचारिक रूप देने का चरण है, यह भारत के संविधान में वर्णित एवं अंतराष्ट्रीय संधियों में हस्ताक्षरित भेद भाव मुक्त समतापूर्ण समाज के निर्माण का भी वचन है। हम एक ऐसा राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां महिलाएं सशक्त हों और विकास के सभी निर्णयों की प्रक्रियाओं में उनकी बराबर की भागीदारी हो। हमारी दृष्टि से सशक्तिकरण का अभिप्राय भौतिक संसाधनों, बौद्धिक संसाधनों एवं विचारधारा पर नियंत्रण है।
डा0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाये गए भारत का संविधान विकास की प्रक्रिया में महिलाओं को समान अधिकर का अवसर देता है। अनुच्छेद चौदह, पन्द्रह और सोलह में इसका उल्लेख किया गया है। संविधान के यह अनुच्छेद कानून के समक्ष बराबरी और रोजगार के समान अवसर की गारंटी देते है। और राज्य को यह शक्ति देते हैं की वह महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान कर सके। मूलभूत अधिकारों की तरह संविधान के निर्देशक सिद्धांत भी ऐसे साधन है जिनके द्वारा न्याय, स्वतंत्रता और समता का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। अनुच्छेद 39(A), (D) और (E) तथा अनुच्छेद 42 निर्देशक सिद्धांत पुरूषों और महिलाओं को आजीविका के पर्याप्त अवसर पाने के अधिकार, समान काम के लिए समान वेतन, पुरूष -महिला और बाल कामगारों के स्वास्थ्य और शक्ति की सुरक्षा, काम की न्यायपूर्ण और मानवीय परिस्थितियों और मातृत्व की सुरक्षा का आग्रह करता है। भारत के संविधान में निहित महिलाओं की प्रतिष्ठा और विकास के लिए आवश्यक विधान के आधार पर प्रदेश की यह महिला नीति बनाई गई है। महिला सशक्तिकरण महिला कल्याण या कृपा पर आधारित दृष्टि नहीं है यह महिलाओं के मूल अधिकारों को सुनिश्चित कराने की रणनीति है।
प्रदेश सरकारों की मान्यता है कि यदि महिलाओं को समर्थ बनाना है तो महिलाओं को दबाकर रखने वाली ताकतों के खिलाफ निरन्तर सामूहिक संघर्ष करना होगा। प्रदेश सरकार चाहती है कि जो भी सामाजिक, राजैतिक, आर्थिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक संसाधन समाज के पास है उनके न्यायपूर्ण पुनर्वितरण की प्रक्रिया पर जोर दिया जाये ताकि महिलाओं को उनमें बराबर का हक मिल सके। प्रदेश सरकार महिलाओं के उत्पादक ओर पुनरोत्पादक श्रम को व काम और सम्पत्ति पर उनके समान अधिकार को मान्यता देती है। हर क्षेत्र में चाहें वह परिवार, कार्यस्थल या समुदाय हो, महिलाओं को निर्णय लेने के समान अवसर देने को भी प्रदेश मान्य करता है। इसके अलावा ज्ञान प्राप्त के समान अवसर, जीने का अधिकर और बालिकाओं के लिए समान अवसर को भी स्वीकार करता है।
राज्यों की महिला नीति ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करेगी जिसमें महिलाओं के ज्ञान व योगदान को स्वीकार किया जाये, महिलाएं भयमुक्त हो, उनका आत्मसम्मान एवं गरिमा बढे उनका अपने जीवन व शरीर पर नियंत्रण बढे, वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनें। जमीन व सम्पत्ति पर उनका नियंत्रण हो वे शिक्षित हो और उनका कार्य बोझ कम हो। उनका कौशल व दक्षता बढे और वे अन्य महिलाओं के साथ संगठन बना सकें। परिवारों में व समुदायों में उनकी परम्परागत भूमिकाएं सकारात्मक रूप से बदले तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी बराबर की भागीदारी हो।
बेटियों को कमतर नहीं समझें बेटों जैसा ही व्यवहार और सुविधाए दिया जाना चाहिए, तभी बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा चरितार्थ हो पायेगा 

जय सिंह 
9450437630