शुक्रवार, 15 जून 2018

आरक्षण बचाओ पैदल मार्च 17 जून, सुबह 6 बजे से 1090 चौराहा गोमती नगर में



भाइयों,
 जागो, उठो और अपने  अधिकार के लिए आगे आओ ........
भाइयों, अब असली संघर्ष का समय आ गया है , घर से निकलकर, अपना सब काम काज एक दिन के लिए छोड़कर अपने अधिकार की रक्षा के लिए एकजुट होकर अपने अस्तित्व को बचाना होगा / याद करिए जब सरकार ने हमारे भाइयो को डिमोशन कर के कितना बड़ा अत्याचार किया, फिर भी हम चुप बैठे रहे और अपने अधिकारों को  हम आपस में बिखरकर खो बैठे , पर अब आपसी मतभेद भुलाकर, सभी  अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों के लोगो को एक साथ आकर पदोन्नति में आरक्षण लागू करवाने के लिए अपनी ताकत दिखाना बहुत ही जरुरी है वरना वह दिन दूर नहीं है जब फिर से मनुवादियों के गुलाम होगे |
आप सभी को पता ही है की  सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में  उसको को ध्यान से पढ़ें,।" सिर्फ Head lines को गौर से देखे। "संविधान पीठ का फैसला आने तक सरकार 'पदोन्नति में सरकार आरक्षण'-- "दे सकती" है। "दे सकती है" अर्थात ये ये आदेश या न्याय नही सिर्फ,"सलाह" है,आदेश या कानून नही। कोई उच्च न्यायालय जब आदेश/न्याय देता है तो वह-"मिशाल" या example बनता है।जब सर्वोच्च न्यायालय आदेश देता है तो वह,*कानून/law बन जाता है।"यहाँ ऐसा बिल्कुल नही है। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सलाह दी है  न्याय नही,आदेश नही।वह चाहते तो आदेश/न्याय दे सकते थे लेकिन ऐसा हुआ नही। "
इससे पता चलता है की हम लोगों को केवल इस्तेमाल कर मुर्ख बनाया जा रहा है, जब तक हम सड़को पर आकर अपनी एकजुटता नहीं दिखायेंगे तब तक सरकार केवल गुमराह करती रहेगी और हम चुपचाप अपने अधिकारों को खोते रहेंगे |
इस लिए भाइयो अब आप सभी से अनुरोध है की 17 जून 2018, दिन रविवार को अम्बेडकर स्मारक, 1090 चौराहा, गोमती नगर में सुबह 6 बजे आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में इकठ्ठा होकर सरकार को अपनी ताकत का एहसास दिखाए और पदोन्नति में आरक्षण को लागु करवाकर अपने संवैधानिक अधिकार को प्राप्त कर अपने आने वाली पीढ़ी के भविष्य की  सुरक्षा करे, वरना आने वाली पीढ़ी  हमे माफ़ नहीं करेगी |
भाइयों अपने लिए आईये, अपने समाज के लिए आइये, अपने बच्चों के लिए आइये, अपने भइयो के लिए आइये, पर  जरुर आइये......... 
कार्यक्रम स्थल-17 जून 2018, दिन रविवार, सुबह 6 बजे, अम्बेडकर स्मारक, 1090 चौराहा, गोमती नगर
जय सिंह 

मंगलवार, 1 मई 2018

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर विशेष............


अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर सभी श्रमिक बंधुओं को बधाई

श्रमिक दिवस को सार्थक रूप से मनाना ही श्रम का सम्मान है |
मानव की कामना सदा समस्त भौतिक सुख साधनों की इच्छाओ के साथ-साथ जीवन की अन्य कामनाएं रहती है, जिसमें भव्य आवास, सुन्दर वस्त्र, अच्छा स्वादिष्ट भोजन, और ऐश्वर्य विलास के साधन आदि मुख्य हैं |
आज के भौतिकवादी युग में प्रायः व्यक्ति इन्ही समस्त कामनाओं की पूर्ति के जुगाड में लगा रहता है | इच्छाएं अनंत हैं, बढ़ती रहती हैं, एक वस्तु की प्राप्ति होने पर उससे बेहतर वस्तु के विषय में चिंतन और प्रयास प्रारम्भ हो जाता है | आज 1 या 2 कमरे का घर है तो उससे बड़ा, बेसिक फोन हो गया तो मोबाईल, फिर उसके बेहतर माडल, आज हम रिक्शा, लोकल बस या ट्रेन में सफर करते हैं तो स्कूटर बाईक और फिर कार, उसके माडल वस्त्रों में विविधता गुणवत्ता, भोजन में पसंद आदि आदि होती है | शेष सभी सुविधाओं के विषय में पसंद ऊंची होती जाती है| अपनी-अपनी आर्थिक क्षमता के अनुरूप व्यक्ति उनकी प्राप्ति का प्रयास करता है | मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग अपने जीवन स्तर के सुधार में लगे हैं, एक वर्ग और भी है, जिसके कारण जिसके अहर्निश परिश्रम से ये सब सुख.सुविधा उपरोक्त सभी वर्गों के लिए सुलभ हो पाती है, यह वर्ग है एमजदूर या श्रमिक वर्ग | एक घनिष्ठ सम्बन्ध है मजदूर वर्ग का | शेष सभी वर्गों से शेष वर्गों का कोई भी कार्य इनकी अनुपस्थिति में पूर्ण नहीं हो सकता और मजदूर वर्गद का जीवन यापन ही शेष वर्ग की आवश्यकताओं और वैभव की सामग्री के निर्माण, एकत्रीकरण, उसकी मरम्मत पर निर्भर करता है|
मजदूर के साथ कितनी विचित्र विडंबना है, भव्य आवास, गगनचुम्बी अट्टालिकाएं बनाने वाला, उनको आधुनिकतम सुख.सुविधाओं से सज्जित करने वाला श्रमिक आजीवन अपने लिए एक छत की व्यवस्था नहीं कर पाता | शीत, आतप, वर्षा, आंधी-तूफ़ान सभी में उसको प्राकृतिक छत का ही सहारा होता है, जहाँ खड़े होना भी आम सभी वर्गों के लिए असह्य होता है, उसी गंदगी, कीचड, कूड़े के ढेर के पास अपना टूटा फूटा छप्पर डाल कर रहता है | वो जिसके स्वयं व उसके परिवार की महिलाओं, बच्चों के लिए शौचालय भी नहीं हैं, स्नान के लिए सरकारी नल या नदी, नहरों, रजवाहों, तालाबों का सुख भी अब छीनता जा रहा है, रौशनी के नाम पर मोमबत्ती या लालटेन भी कठिनता से उपलब्ध हो पाता है |
मूल्यवान वस्त्र हाथ से या मशीनों से बनाने की समस्त प्रक्रियाएं जो मजदूर तैयार करता है, स्वयं फटे हाल रहता है, छप्पन प्रकार के व्यंजन से तृप्त करने में जुटा मजदूर पेट पर पट्टी बाँधने को विवश रहता है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर खदानों में काम करता है, पत्थर तोड़ता है, जिसकी आँखें बचपन में ही वेल्डिंग के कारण बेकार हो जाती हैं, जिनके फेफड़े, गुर्दे, हाथ और पैर सब असमय ही जवाब दे देते हैं | बिमारी के आक्रमण करने पर भी जिसके लिए निजी चिकित्सकों के पास जाना बूते से बाहर की बात है, और सरकारी अस्पतालों में न चिकित्सक न औषधियां, सरकार ने विद्यालय तो इस वर्ग के लिए खोल दिए हैं, परन्तु उसमें शिक्षक नहीं, पुस्तकें नहीं |
यदि किसी सफल चिकित्सक से पूछा जाय कि वह अपने बच्चों को भविष्य में क्या बनाने का स्वप्न देखता है, तो वह चिकित्सक ही बनाना चाहता है, इसी प्रकार हर सफल व्यक्ति अपनी संतान को अपने ही कार्य में भविष्य बनाता देखना चाहता है, परन्तु किसी श्रमिक से पूछ कर देखें तो वह किसी कीमत पर अपनी संतान को अपनी भांति अभिशप्त जीवन व्यतीत करने की इच्छा नहीं कर सकता |
इस पर एक कविता के माध्यम से भी मजदूर दिवस को देखा जा सकता है---------

मजदूर दिवस पर विशेष

धूप में वह झुलसता, माथे पसीना बह रहा
विषमतायें, विवशतायें, है युगों से सह रहा

सृजन करता आ रहा है, वह सभी के वास्ते
चीर कर चट्टान को, उसने बनाये रास्ते

खेत, खलिहानों में उसकी मुस्कुराहट झूमती
उसके दम ऊँची इमारत, है गगन को चूमती

सेतु, नहरें, बाँध उसके श्रम से ही साकार हैं
देश की सम्पन्नता का, बस वही आधार है

चिर युगों से देखता आया जमाने का चलन
कागजों के आँकड़े, आँकड़ों का आकलन

अल्प में संतुष्ट रहता, बस्तियों में मस्त है
मत दिखा झूठे सपन, वह हो चुका अभ्यस्त है

तू उसे देने चला, दुख सहके जो सुख बाँटता
वह तेरी राहों के काँटे, है जतन से छाँटता

लग जा गले तू आज, झूठी वर्जनायें तोड़ कर
वह सृजनकर्ता, नमन कर हाथ दोनों जोड़ कर

वह सृजनकर्ता, नमन कर हाथ दोनों जोड़ कर
वह सृजनकर्ता, नमन कर हाथ दोनों जोड़ कर


जय सिंह
पत्रकार,लेखक,कवि,व्यंगकार