सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

ये इश्क नहीं आसां...............



 प्रेम दिवस के साथ ही नागफनियां भी उगने लगती हैं. तितलियाँ उड़ने लगती हैं. भवरे गुनगुनाने लगते हैं। युगल लुकाछिपी शुरु कर देते हैं। ये प्रेम पुजारी बचते रहते हैं कि कहीं श्रीराम भक्तों द्वारा घंटा बज जाए। डॉ आकाश गौतम  ने अपने 
कवि मित्र से पूछा कि इस बार क्या प्रोग्राम है। उन्होनें दबी जुबान से कहा कि क्या बताएं, मंहगाई ने जेब ढीली कर दी है और शिव,राम की सेना ने. . .................
मधुमास मनाने की संभावनाएं बनने से पहले बिगड़ जाती हैं। आप तो जानते ही हैं कि लव मी, लव माई डाग। दरअसल उनका डॉग बेस्लम डॉग है, बहुत चटोर है। हमेशा बढ़िया चाकलेट ही खाता है। लव के चक्कर में डॉग की इतनी सेवा हो गई कि मधु चन्द्रिका की मिलन यामिनी को मंहगाई का ग्रहण लग गया। इस बार मधु और राजू ने  मधुमास को खास बनाने की सारी योजनाएं पानी भरती नजर रही हैं। फिर भी बड़ी मुश्किल से अठन्नी-चवन्नी जोड़कर रखा था कि 14 फरवरी को प्रेम दिवस मना ही लेंगे लेकिन डर लग रहा है कि पकड़े गए तो स्वघोषित नैतिक ब्रिगेड के सैनिक कहीं तेरही कर दें। क्यों की सुना है लव में बड़ा स्ट्रगल करना पड़ता है और में मौके पर धोखा मिलता है. प्राचीन समय में सुना है जितना राम ने सीता को नहीं खोजा था उससे अधिक श्री राम सेना वाले युगलों को खोज रहे हैं। अब सच बताएं सहीराम जी किसी ने सच ही कहा है कि ये इश्क नहीं आसां..
सहीराम जी पिछले दिनों एक अद्भुत दुर्घटना मेरे साथ हो गई, वसंत के आगमन पर शहर के घोषित रसिकों नेप्रेम पियासाज् कवि सम्मेलन किया उसमें मुङो भी आमंत्रित किया गया था। सच कहूं तोलवज् पर कविता पाठ का आमंत्रण पाकर मन लबालब हो गया। मैंने कविता शुरू की, ‘मोहिनी तेरे नैन कटार, झंकृत होते मन के तारज् अभी स्वर पंचम तक पहुंचा ही था कि मंच के पीछे भगवा और त्रिशूल धारी भाइयों को देखा और श्रृंगार रस की कविता वीर रस में बदल गई। सहीराम ने आगे पूछा, क्या आपने कविता सुनाई? उन्होंने कहा हां लेकिन ऐसे- ‘गोरी तेरे नैन कटार, कर दुश्मन को तार-तार। तोड़, मरोड़ गर्दन उसकी, बैरी छुपा है सीमा पार।
परेशानी तब हो गई जब इस अद्भुत कविता को सुनाकर श्रोताओं ने मुङो श्रृगांर और वीर रस के संयुक्त कविरसिक विद्रोहीज् की संज्ञा दे दी। रसिक विद्रोही ने आंख बंद कर संत वेलेंटाइन के प्रेम मंत्र का जप किया और प्रार्थना की कि हे संत जी इन घोंघा बसंतों को सपने में समझाओ, साथ में कवि बिहारी से भी अनुरोध किया और कहा, हे रीतिकाल के केशव इन्हे विरह व्यथा से अवगत कराओ शायद इनका पाषाण हृदय पिघल जाए। इस व्यथा को सुनने के बाद  डॉ आकाश गौतम ने कहा, इस नैतिक ब्रिगेड से मुङो भी चिंता है क्योंकि इश्क तो ऐसा गुनाह है जो शादीशुदा भी करता है।


                                                         जय सिंह 


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