गुरुवार, 25 मई 2017

ब्लैंक एसएमएस


  जय सिंह

धु का भरा-पूरा परिवार था। कभी भी किसी चीज की कमी नहीं महसूस होने दी उसके पापा ने। जब जिस चीज की इच्छा होती वह उसी समय उसके सामने होती थी। जिस कालेज से चाहा पढ़ार्इ की आगे बी0टेक की। पढ़ार्इ के लिए नोएडा भी गर्इ। पढ़ार्इ में बहुत मन लगता था पर कुछ न कुछ कमी उसे सताती रहती थी जिसे वो पकड़ नही पाती थी। अपने टीचर से हमेशा अपनी कमी पर चर्चा करती रहती थी। छुट्टी के समय उसे घर जाने का अवसर मिला। घर पर सब कुछ अच्छा रहा। मंमी-पापा की बहुत से उम्मीदें उससे जुड़ी थी। मधु ने उनसे वादा किया कि वह उनके सपनों को जरूर पूरा करेगी।

ट्रेन से वापस नोएडा लौटते हुए उसकी सामने वाली सीट पर एक लड़का मिला। बातों-बातों में उससे परिचय हो गया। वह भी नोएडा में ही रहता था और उसका घर मधु के गृह जनपद में ही था। उसे आज भी समझ में नही आता है कि उसमें उसकी रूचि कैसे बनी। पर कहते है न कि आपके साथ वही घटित होता है जो आपकी किस्मत में लिखा होता है। भगवान ने उसे उसके साथ जोड़ने की सोच रखी थी जिस बारे में उसे तनिक भी भान नहीं था। ट्रेन में उसने अपना टेलीफोन नंबर एक-दूसरे को दिये। नोएडा पहुंचकर दो-तीन दिनों बाद उसका फोन आया। कुछ दिनों तक वो दोनों फोन पर बात करते रहें। बाद में एक दिन वह मधु के ट्यूशन सेंटर पहुंच गया। वहां से दोनो की मुलाकातों का दौर शुरू हो गया। वे दोनों नोएडा के दो छोर पर रहते थे पर वह रोजाना उससे मिलने आया करता और मधु को वापस छोड़कर ही जाता। उसका इतना करना उसे अच्छा लगने लगा। बिना एक-दूसरे से कुछ कहे वे सारी बाते शेयर करने लगे। यहां तक कि अपने घर की सारी बातें बताने लगें। वह भी जो बातें शेयर करने लायक नहीं थी। उसे इसमें कुछ गलत नहीं लग रहा था। क्योंकि वह उसका अच्छा दोस्त था। यह दोस्ती बहुत जल्दी प्यार में बदल गर्इ।

इस बीच मधु की शादी की बातें घर में चलने लगीं। वह चुपचाप यह सब बर्दाश्त करती रही। एक जगह बस उसकी शादी फिक्स होने ही वाली थी, तब उसे लगा कि उस लड़के के बारे मे मुझे अपने घर वालों से बताना चाहिए। उसने अपनी मम्मी और पापा से बात की। उन्होंने सीधे मना कर दिया। दरअसल उस लड़के के पिता और मधु के पिता एक ही विभाग मे कार्यरत थे। यही बात थी जो उसके घरवालों को उसके खिलाफ कर रही थी। पर वह इन बातों को मानने से इनकार करती रही। उसका फोन उससे ले लिया गया था। पर उसकी सीधी सादी मम्मी ने उसे आफ नही किया था। रात में उसके मोबाइल पर डराने-धमकाने वाले मैसेज आते रहे जिसमें उसने उसका उत्पीड़न किए जाने की शिकायत महिला आयोग में करने की बात लिखी थी। यह पढ़ते ही उसकी मम्मी डर गर्इ और उन्होंने उसे फोन पकड़ा दिया। मधु को उसकी इस धमकी में भी खुद के लिए प्यार नजर आया। कुछ ही दिनों में मामला थोड़ा ठंडा पड़ा और वह वापस नोएडा चली गर्इ।
वहां उसका मिलना कुछ दिनों तक बदस्तूर जारी रहा पर कुछ निजी वजहों से और कुछ घरवालों की ओर से दबाव के कारण वह उससे मिलना बंद कर दी। राजू ने इसका बुरा माना और उसे धमकाने लगा। कभी उसकी फोटो तो कभी उसके दिए गिफ्ट को लेकर उसे डराता। एक दिन आजिज आकर जब मधु ने अपने घर का रूख करना उचित समझा तो उसने उसे गालियां देनी शुरू कर दी। बदले में मधु चुप कैसे रहती। उसने भी उसे एक थप्पड़ लगा दी। इसके बाद तो राजू ने उसकी इतनी पिटार्इ की कि उसका चेहरा बुरी तरह से सूज चुका था। अब वह पूरी तरह से टूट चूकी थी। उसे प्यार का बुखार उतर चुका था। चेहरे के ठीक होते ही उसने ट्रेन पकड़ी और घर पहुंच गर्इ। घर आकर उसकी परेशानी थोड़ी कम जरूर हुर्इ पर खत्म नहीं हुर्इ। यहां एक दिन उसके घर वाले मोबाइल पर उसने वह सारी बातें लिखकर एसएमएस कर दी। जो मधु ने सिर्फ राजू को बतार्इ थी। उसमें यह बात भी थी जो उसने सबसे छिपार्इ थी कि मै इम्तहान में बस किसी तरह पास हुर्इ थी। घर वालों को मैंने बता रखा था कि मेंरे नंबर बहुत अच्छे आए है। इसके अलावा उसने कर्इ लड़कों के साथ उठने-बैठने और घूमने की बात भी उसमें लिखी थी। पर यह उसके घरवालों की सादगी थी कि उन्होंने उस पर विश्वास न कर के मधु पर विश्वास किया। आज वह अपनी उस गलती पर शर्मिंदा थी। अपने इस खोखले प्यार से उसने यह सीख ली कि आपके बड़े आपकी भलार्इ के लिए ही सोचते है। किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले हर पहलू पर विचार करना चाहिए। बड़ो की दी हुई नसीहत और मार्गदर्शन को अपनाना चाहिए।


? जय सिंह

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